इटावा, 26 जुलाई (वार्ता)
देश में कोरोना संक्रमण के कारण आनलाइन शिक्षा प्रणाली अपनाये जाने की बाध्यता हजारों विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट खड़ा कर रही है।
उत्तर प्रदेश के इटावा में 15 जुलाई से स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई शुरू हो चुकी है लेकिन गरीब विद्यार्थी मोबाइल फोन और इंटरनेट के अभाव में अब तक ज्ञान अर्जित करने से कोसों दूर हैं।
जिला विद्यालय निरीक्षक राजू राणा ने यूनीवार्ता को बताया कि ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए सभी विद्यालयों को निर्देशित कर दिया गया है। सत्र शुरू भी हो चुका है लेकिन अभी आधे बच्चों के पास ही ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था है। ऑनलाइन पढ़ाई के प्रयोग के पहले चरण में विभाग ने जिले में सर्वे कराया था जिसमें 56 हजार विद्यार्थियों में से 27 हजार के पास ही ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा पाई गई है । इनके फोन नंबर आदि की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दिया गया है।
उन्होंने बताया कि जिन बच्चों के पास ऑनलाइन की व्यवस्था नहीं है, उन्हें घर पर पढ़ाई करने के लिए स्टडी मैटेरियल दिया जाएगा और इसकी तैयारी की जाएगी वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी का भी अभाव है ।
15 जुलाई से प्राइमरी और माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू तो कर दी गयी लेकिन विद्यार्थियों के पास संसाधनों का अभाव है । ऐसे में जिन विद्यार्थियों के पास स्मार्ट फोन या लैपटॉप नहीं है, उनके ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रहने की संभावनाएं जताई जा रही है। कई गांव ऐसे भी हैं जहां पर इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव है लिहाजा सरकार की यह योजना सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए कारगर साबित होती नहीं दिखाई दे रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब तबके के बच्चों की संख्या सरकारी स्कूलों में ज्यादा होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोगों के पास लैपटॉप और टैबलेट तो दूर स्मार्टफोन भी नहीं है वहीं जिले में कई गांव ऐसे भी हैं जहां बमुश्किल ही नेटवर्क आता है लिहाजा ऑनलाइन पढ़ाई एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। लाॅकडाउन के दूसरे चरण में ऑनलाइन शिक्षा का प्रयोग जिले में फेल साबित हुआ था हालांकि जिन विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन पढ़ाई का साधन उपलब्ध नहीं है, उन्हें स्टडी मटेरियल मुहैया कराने की बात विभाग की ओर से की जा रही है। मसलन जिले में आधे बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा का लाभ उठा पाएंगे वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी का भी अभाव है। ऐसे में बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करेंगे, यह एक चुनौती बनी हुई है ।
ऑनलाइन पढ़ाई कराना शिक्षकों के लिए भी चुनौती है। गणित के शिक्षक प्रदीप तिवारी ने बताया कि गणित को ऑनलाइन पढ़ाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । विद्यार्थियों को हर अध्याय का वीडियो बनाकर भेजा जाता है और अगले दिन विषय से संबंधित उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है ।
ऑनलाइन की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी अभिभावकों को हो रही है । घर में फोन एक है और पढ़ने वाले बच्चे तीन हैं। साथ ही सभी के क्लास का समय एक ही है वहीं अभिभावक फोन लेकर काम पर चले जाते हैं। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा अभिभावकों के सामने भी परेशानी खड़ी कर रहा है।
लॉकडाउन के दौरान अप्रैल के महीने में भी माध्यमिक विद्यालयों में आनलाइन पढाई कराई जा चुकी है। वह भी ज्यादा सफल नहीं हो सकी। उस समय तो छ़ात्र छात्राओं के अभिभावक घरों में ही थे। ऐसी स्थिति में मोबाइल घरों में ही थे। उस वक्त भी 30 से 35 प्रतिशत बच्चों तक ही आनलाइन पढाई की पहुंच हो सकी थी। सबसे बडी समस्या यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में पढने वाले ज्यादातर बच्चों के पास मोबाइल नहीं हैं। गांवों में नेटवर्किंग की समस्या अलग से है।
माध्यमिक शिक्षक संघ चंदेल गुट के जिला अध्यक्ष पंकज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार को पहले मोबाइल फोन की व्यवस्था करनी चाहिए। बच्चों के पास मोबाइल है या नहीं इस बात का डाटा जुटाना चाहिए। बगैर पूरी तैयारी के इस पढाई का लाभ छात्रों तक कैसे पहुंचेगा। तमाम छात्र जो मोबाइल न होने के कारण पढाई से दूर हो जाएंगे उनके भविष्य को लेकर सरकार को अपना रबैया स्पष्ट करना चाहिए।
प्रधानाचार्य परिषद के जिला महामंत्री एवं सनातन धर्म इंटर कालेज के प्रधानाचार्य संजय शर्मा ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में आनलाइन पढाई ही बेहतर विकल्प है। सभी छात्र छात्राओं एवं अभिभावकों को इसमें सहयोग करना चाहिए। कहीं कहीं समस्या हो सकती है। इसके लिए कोई न कोई हल भी निकाला जाएगा।
सं प्रदीप