बुलंदियां: डॉ. कमल के. प्यासा

डॉ. कमल के. प्यासा बुलंदियां छूना ऊंचा उठाना, अच्छा लगता है खुद को, सब को! बुलंदियां बढ़ाती हैं, दूरियां और फासले! जिनसे पनपते हैं भरम नजरों के, और बदल जाते हैं स्तर देखने के! बुलंदियों को यथा रखने के लिए, एकाग्र होना पड़ता है, ध्यान साधना पड़ता है, और संतुलन रखना पड़ता है! एकाग्रता खो … Continue reading बुलंदियां: डॉ. कमल के. प्यासा