डॉ कमल के प्यासा हिलोरे जीवन चक्र केझूले में,झूल हर कोई हिलोरे लेता है।कोई कमकोई अधिक,बस अपने कर्मों काफल वसूल लेता है ! रिश्ते रिश्तों के जंगल में,घनघोर अंधेरे हैं,निकले किधर से कोई,चारों ओर खामोश निगाहोंके पहरे हैं ! भेद पर्दे कापर्दा उठ जाने से,भेद सारे खुल जाते हैं !लाख छुपा ले कोई,कपड़ों के अंदर … Continue reading भावनाओं का सफर — कविताएँ
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