शर्तिया ईलाज़ (व्यंग्य) – रणजोध सिंह

रणजोध सिंह – नालागढ़ बुत-तराश ने मुस्कान को भरपूर समय दे कर गढ़ा था। रूप यौवन के साथ-साथ वह एक कोमल ह्रदय की स्वामी भी थी। चेहरे पर अलौकिक आभा और कंठ में सरस्वती विराजमान थी। मिलने वाला कोई भी शख्स उसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। वह स्वयं तो गृहणी थी पर … Continue reading शर्तिया ईलाज़ (व्यंग्य) – रणजोध सिंह