रणजोध सिंह – नालागढ़ रामदास काफी दिन बाद गाँव आया था| शहर की हवा में वह कुछ इस तरह रम गया था कि गाँव को लगभग भूल ही गया था| आज गाँव में कदम रखते ही उसे अपना बचपन याद आ गया जहाँ पर हरे-भरे खेत थे, पनघट था, पीपल के पेड़ थे, उसके हम … Continue reading तरक्की (लघुकथा) – रणजोध सिंह
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed