अच्छी शिक्षा और संस्कार: नववर्ष के साथ संस्कृति का संकल्प

हमारी सोने की चिड़िया लूटी,हमें अप्रैल फूल बना गए।चैत्र से जो वर्ष शुरू होता था,जनवरी से मनाना सिखा गए॥ अपनी संस्कृति को भूलकर,कैसे उनके झांसे में आ गए?देशी महीनों के नाम भुला कर,जनवरी-दिसंबर में रम गए॥ हम भी पाश्चात्य रंग में रंगे,भूल गए अपना स्वदेशी।धन-दौलत के पीछे भागे,भारत छोड़ बने विदेशी॥ बसंत का वैभव फैला … Continue reading अच्छी शिक्षा और संस्कार: नववर्ष के साथ संस्कृति का संकल्प