मूल लेखक: प्रो. रणजोध सिंहअनुवाद: जीवन धीमान शरद ऋतु का सुहाना दिन था, मैं अपने दो अभिन्न मित्रों प्रो. तोमर और प्रो. राणा के संग माशु-चयोग गया हुआ था। दरअसल यह गांव प्रो. तोमर का ससुराल था और उसके साले की शादी थी, जिसमे शामिल होने के लिए हम लोग वहां पहुचें थे। यह गांव … Continue reading भेडू- एक संस्मरण
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