कुलदीप वर्मा, कीकली रिपोर्टर, 14 सितम्बर, 2019, शिमला
सामाजिक मुद्दों पर हमारे बच्चों की सोच को बाहर लाना ही कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य – शहनाज़
मूवमेंट टू युनाईट नेशन के सौजन्य से लौरेटो तारा हाल स्कूल में दो दिवसीय युनाईट नेशन थीम चैप्टर का आगाज किया गया, जिसमें 5 स्कूलों के 120 विद्यार्थियों ने भाग लेते हुए शिक्षा जगत की हस्तियों से संसार की गंभीर समस्याओं पर विचार मंथन कर समाज उत्थान में अपनी सार्थक भागीदारी सुनिश्चित किए जाने का मार्ग प्रशस्त किया ।
युनाईट नेशन थीम चैप्टर के पहले दिन सोलन सेंट ल्यूस, सेंट एडवर्ड, सेक्रेड हार्ट ढली, डी.ए.वी. न्यू शिमला व मेजबान लौरेटो स्कूल के प्रतिभागियों ने अतुल, अरविंद, नरवाल, सोनम, निकिता ठाकुर जैसे प्रतिष्ठित शिक्षकों से स्थाई पाठ्यक्रम से संबन्धित संसार के मौजूदा गंभीर मुद्दों क्लाइमेट चेंज, पावर्टी स्पेशल रेफरेंस विद साउथ अफ्रीकन कंट्रीज़ व महिला सुरक्षा मुद्दों पर अपनी जानकारी का विस्तार किया व इन समस्याओं के निराकरण संबंधी अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए ।
इस दौरान मूवमेंट टू युनाईट नेशन सदस्यों शहनाज़ सैम व अजंता ठाकुर ने कीकली से अपने विचार साझा करते हुए कहा कि, ‘‘कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य समाज के मुख्य मुद्दों पर हमारे बच्चों की सोच को बाहर लाना है, क्योंकि देश का भविष्य उनके द्वारा ही गतिमान होगा।’’
शहनाज़ ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत हम सभी स्कूलों को एक ऐसा मंच प्रदान करते हैं, जहां वे भविष्य में समाज के लिए उनके सहयोग व भागीदारी को सुनिश्चित करते हैं । अपने इस प्रयास में बच्चे उत्सुकता के साथ संसार की मुश्किलों पर चिंतित होकर उन्हें सुलझाने के लिए गंभीरता दिखाते हैं ।
वहीं इस दौरान पर्यवेक्षक के तौर पर चैप्टर प्रक्रिया का निरीक्षण करने पहुंची टूटु स्थित डी.ए.वी स्कूल अध्यापिका पूनम ठाकुर ने कीकली से बात करते हुए कहा कि जब बच्चे यह जान लें कि हमारे चारों ओर क्या हो रहा है, तभी वो इन चीजों को समझ सकेंगे और वो अपने को इससे रीलेट कर सकेंगे कि, हमारे कर्तव्य क्या हैं। चाहे वो पर्यावरण के प्रति हों या फिर शिक्षा के प्रति । इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें उनके इन कर्तव्यों के बारे में जागृत करवाया जा सकता है और मैं एक पर्यवेक्षक और निरीक्षक के रूप में इस कार्यक्रम की सराहना करती हूँ । पूनम ने कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल किताबों तक ही सीमित नहीं है । विद्यार्थियों को इसके बाहर के बारे में भी पता होना चाहिए । यहाँ आकर उन्हें देखने व समझने का मौका मिलता है । वे अपने आत्मविश्वास और ज्ञान की सीमा से परिचित हो पाते हैं । जब वे अपना तुलनात्मक विश्लेषण करते हैं तो उन्हें ये आभास होता है कि अभी उन्हें कितना सीखने कि आवश्यकता है या फिर अभी वे कहाँ स्टैंड करते हैं । ये कार्यक्रम गंभीर समस्याओं के साथ साथ विद्यार्थियों को उनकी काबिलियत से भी परिचित करवाता है ।
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