कीकली रिपोर्टर, 27 नवंबर, 2018, शिमला
प्रदेश में राज्य महिला आयोग की इकाईयों का विस्तार पंचायत स्तर तक हो इसके लिए प्रदेश सरकार को आवेदन दिया गया है। यह जानकारी आज हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा0 डेजी ठाकुर ने आयोग द्वारा महिला जागरूकता पखवाड़े के तहत ‘बाल विवाह निषेध और विवाह का अनिवार्य पंजीकरण अधिनियम’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बचत भवन मे आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दी।
उन्होंने बताया कि इकाई विस्तार से जहाँ आयोग के कार्यों की जानकारी पंचायत स्तर पर महिलाओं को मिलेगी वही आयोग से सबंधित महिलाओं की शिकायतों के निवारण में भी सुगमता होगी। उन्होने बताया कि आयोग के सदस्यों को इस सबंध मे विभिन्न जिलों के प्रभारी के रूप दायित्व दिया जाएगा जिससे उनकी सहभगिता भी बढेगी।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देशानुरूप 25 नवम्बर, से 10 दिसम्बर, 2018 तक आयोजित किये जाने वाले इस पखवाडे़ मे महिलाओं के अधिकारो, महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के लिए विभिन्न नियमों व अधिनियमों के प्रति पूरे प्रदेश मे अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित कर जागरूकता प्रदान की जाएगी।
उन्होनें कहा कि महिलाओं पर अत्याचार को खत्म करने के लिए हमें अपने व्यवहार और समाज की मूल व्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता है जिसके लिए समाज के प्रत्येक वर्ग विशेषकर युवाओं और महिलाओं को आगे आने की जरूरत है। उन्होने कहा कि देश व प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के लिए अनेक योजनाएं आरंभ की गई है जिन्हें अपनाकर महिलाएं सबल हो सकती है। उन्होने कार्यशाला में उपस्थित पंचायती राज संस्थाओं के विभिन्न स्तरों के पदाधिकारियों व सदस्यों से इस संबंध में कार्यशाला के माध्यम से ज्ञान प्राप्त कर महिलाओं को जागृत की अपील की है।
कार्यशाला में अधिवक्ता रीटा ठाकुर ने बाल विवाह अवरोधक अधिनियम पर जागरूकता प्रदान करते हुए महिला सशक्तिकरण के लिए इसे अत्यंत आवश्यक बताया। महिला बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी ईरा तनवर ने बाल विवाह से महिलाओं पर पड़ने वाले दुष्परिणामों के संबंध में तथा उपमंडलाधिकारी नीरज चांदला ने विशेष विवाह अधिनियम 1954 के संबंध में जानकारी दी।
रिर्सोस पर्सन जय चंद कौशल ने विवाह पंजीकरण की संरचना, प्रक्रिया और विवाह पंजीकरण के प्रपत्र के बारे मे जानकारी दी। जिला पंचायत अधिकारी विजय ब्रागटा ने भी इस संबंध में विभिन्न विषयों पर जागरूकता प्रदान की।
कार्यशाला में हुई सार्थक चर्चा के दौरान जिला परिषद् सदस्य वंदना मेहता, नीलम सरईक, रेखा मोगटा, रीना ठाकुर, अनिता व राम दासी ने अपने विचार रखे। वहीं शिमला नगर निगम की पार्षद, किमी सूद, किरण बावा, आरती चौहान, सत्या कौंडल, कमलेश मेहता और रेणु ने बहुमुल्य सुझाव भी दिए। कार्यशाला में आयोग की सदस्य इंदुबाला तथा जिला के पंचायती राज संस्थाओं के विभिन्न स्तरों के पदाधिकारियों सदस्यों व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और एकीकृत बाल विकास सेवाएं के कर्मचारियों ने भाग लिया।