कीक्ली रिपोर्टर, 28 मई, 2018, शिमला
7 वर्षीय मानसी ने रजत तो, 9 वर्षीय सेजल ने झटका कांस्य पदक, बेटियों ने माता-पिता और कोच को दिया सफलता का श्रेय ।
टाईक्वांडो कोच संजय का ब्यान, बेटियों को कम न आँके अभिभावक, तरक्की पथ में शक्ति बन, बढ़ाएं बेटियों की शान ।
शिमला जिला के रोहड़ू क्षेत्र के डुंगसा गाँव की दो बहनो ने चंडीगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय 29वीं नार्थ ईस्ट आई.टी.ऍफ़ टाईक्वांडो चैंपियनशिप में दो पदक जीत कर हिमाचल का मान बढ़ाया है । परवाणु के लोटस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रही 7 वर्षीय मानसी ने रजत जबकि 9 वर्षीय सेजल ने कांस्य पदक जीत, अपने गुरु संजय कुमार और माता-पिता का सम्मान बढ़ाया है ।
पहली और चौथी कक्षाओं में पड़ने वाली दोनों बेटियों के विजयी हुनर से परिवार के साथ-साथ स्कूल में भी ख़ुशी का माहौल बन गया है तो वहीँ शुभचिंतकों द्वारा दी जा रही बधाइयों का सिलसिला लगातार जारी है । नोकरी के चलते सोलन के परवाणू में परिवार सहित रह रहे सेजल और मानसी के पिता विक्रांत घामटा बेटियों की खेल भावना, सीखने की ललक और मेहनत से उत्साहित हैं, और बेटियों को टाईक्वांडो में देश का नेतृत्व करते हुए देखना चाहते हैं, और भविष्य में भारतीय सेना में बेटियों को देश सुरक्षा किये जाने की चाहत रखते हैं ।
विक्रांत ने कहा की कोच संजय कुमार बहुत ही काबिल गुरु हैं और उनके प्रशिक्षण की बदौलत आज उनकी बेटियां छोटी उम्र में ही इस मुकाम तक पहुँच पाई हैं । विक्रांत ने प्रदेश सरकार से ब्लाक और स्टेट लेवल पर होने वाले खेलों में टाईक्वांडो खेल को भी शामिल किये जाने की गुहार लगाई है तो वहीँ विक्रांत ने खेल प्रतिभाओं में निखार के लिए खेल मैदान बनाए जाने की और कदम उठाए जाने को आवश्यक बताया । इसी के साथ लोटस स्कूल परवाणू में कोच के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे टाईक्वांडो कोच संजीव कुमार ने किकली से अपने विचार साझा करते हुए अपनी शिष्याओं के प्रदर्शन पर ख़ुशी व्यक्त की और अभिभावक वर्ग को अपनी बेटियों को किसी से भी कम न आँके जाने का सन्देश दिया ।
उन्होंने बताया की पिछले 5 वर्षों में सेजल ने मसूरी, नैनीताल, जयपुर के बाद अब चंडीगढ़ में अपनी प्रतिभा का लोहा मनाते हुए सिल्वर और ब्रॉन्ज़ पदक हासिल किये हैं । संजय ने कहा की मानसी और सेजल भविष्य में टाईक्वांडो में देश का नेतृत्व करने का हुनर रखती हैं । वहीँ चंडीगढ़ में पदक झटकने वाली मानसी व् सेजल ने कहा की उनके पिता और गुरु ने उनका हर पल होसला बढ़ाया है, दोनों बहने कभी हिमाचल के लिए जुडो खेल चुकी अपनी बुआ मंजू बलोई को अपना खेल आदर्श मानती हैं और भविष्य में टाईक्वांडो के लिए देश का प्रतिनिधित्व कर गोल्ड मैडल जीतने का सपना साकार करने का दम भरती हैं ।