तेज़ रफ्तार और भूमिकाओं से भरे जीवन में अक्सर हम अपनी असली पहचान से दूर हो जाते हैं। इसी आत्मिक जिज्ञासा को केंद्र में रखकर संत निरंकारी मिशन ने शिमला के गेयटी थिएटर में दो दिवसीय “वननेस टॉक” (एकत्व संवाद) का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य था – आत्ममंथन के माध्यम से जीवन के मूल प्रश्न “मैं कौन हूँ?” की खोज करना।
कार्यक्रम की शुरुआत 23 मई की शाम 6 बजे हुई, जिसमें दिल्ली से आए संत निरंकारी मंडल के कार्यकारिणी सदस्य श्री राकेश मुटरेजा ने आत्मबोध पर आधारित विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि यह संवाद केवल एक व्याख्यान नहीं, बल्कि आंतरिक यात्रा का एक सशक्त मंच है, जहाँ हम स्वयं से मिलने और आत्मा की गहराई में उतरने का प्रयास करते हैं।
“वननेस टॉक” उन लोगों के लिए समर्पित था, जो सांसारिक जीवन की आपाधापी में कुछ क्षण अपने भीतर झांकना चाहते हैं। इस अवसर पर दिल्ली से आई नीमा अकादमी के प्रिंसिपल डॉ. विनोद गंधर्व और उनकी टीम ने संगीतमय प्रस्तुति दी। भजन गायिका महक राणा, आरती और इंदर गिल ने भक्ति गीतों से माहौल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
इस संवाद में न केवल संत निरंकारी मिशन के अनुयायी शामिल हुए, बल्कि अन्य धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि, स्थानीय नागरिक, युवा और पर्यटक भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने श्रोताओं को अपने जीवन के मूल उद्देश्य पर विचार करने के लिए प्रेरित किया।
शिमला ज़ोन के इंचार्ज कैप्टन निमरत प्रीत सिंह भुल्लर ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि “यह संवाद हमें हमारे अस्तित्व की गहराई में उतरने का अवसर देता है। आत्मिक ज्ञान के बिना जीवन अधूरा है। आइए, हम सभी उस मौन प्रश्न की ओर बढ़ें – मैं कौन हूँ?”
यह आयोजन आत्म–जागरूकता और आंतरिक शांति की खोज में एक अहम कदम रहा, जिसने श्रोताओं को न केवल सोचने पर मजबूर किया, बल्कि उन्हें जीवन की दिशा पर नए सिरे से विचार करने की प्रेरणा भी दी।