मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने एक प्रेस वक्तव्य में केंद्र सरकार पर हिमाचल प्रदेश के साथ आपदा राहत को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023-24 में प्रदेश ने भीषण प्राकृतिक आपदा का सामना किया, जिसकी क्षति का आकलन केंद्रीय टीम द्वारा लगभग 10,000 करोड़ रुपये किया गया था। इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने अब तक केवल 2,006 करोड़ रुपये की राहत राशि जारी की है, जो आवश्यकता के अनुपात में अत्यंत कम है।
चौहान ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा कई बार प्रधानमंत्री और केंद्र के शीर्ष नेतृत्व से सहायता की मांग की गई, लेकिन अनदेखी की गई। उन्होंने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वे राज्य को उसका हक दिलाने में विफल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस आपदा से राज्य में मकानों के साथ-साथ पेयजल, सिंचाई, सड़क और पुलों जैसी बुनियादी संरचनाओं को भारी नुकसान हुआ। इसके बावजूद जब केंद्र से उम्मीद की जा रही थी कि वह उदार सहायता देगा, तब उसने केवल नाममात्र की राशि भेजी।
नरेश चौहान ने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार ने अपने सीमित संसाधनों से 4,500 करोड़ रुपये का राहत पैकेज खुद जारी किया और मुख्यमंत्री ने खुद ग्राउंड ज़ीरो पर राहत कार्यों की निगरानी की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने हिमाचल को ‘दूसरा घर’ कहने के बावजूद आपदा की घड़ी में प्रदेशवासियों को अकेला छोड़ दिया।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के “केंद्र को आभार देने” वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चौहान ने कहा कि यह कोई अनुकंपा नहीं, बल्कि हिमाचल के लोगों का अधिकार है। उन्होंने अनुराग ठाकुर से सवाल किया कि इतनी कम और देर से राहत राशि क्यों मिली।
पावंटा साहिब प्रकरण पर भाजपा पर हमला बोलते हुए चौहान ने कहा कि भाजपा नेता बार-बार हिमाचल के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने का प्रयास करते हैं और हर मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार कानून व्यवस्था के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होने देगी और हर कार्रवाई पारदर्शी तरीके से होगी।
Centre’s Aid to Himachal: Too Little, Too Late – Naresh Chauhan