हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले की पहचान अब सेब की खेती तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि अब यहां की महिलाएं सेब से बनी खास बर्फी से भी लोगों के दिलों तक पहुंच बना रही हैं। जिला शिमला के आकांक्षी विकास खंड छौहारा के अंतर्गत कार्यरत “जय देवता जाबल नारायण स्वयं सहायता समूह” पिछले तीन वर्षों से ऑर्गेनिक सेब की बर्फी तैयार कर रहा है, जिसकी हर महीने करीब ₹35,000 की बिक्री हो रही है। इस बर्फी को पारंपरिक और स्वच्छ तरीकों से तैयार किया जाता है, जिसमें सेब का पल्प, सूखे मेवे और धीमी आंच पर पकाए गए मिश्रण का उपयोग होता है। खास बात यह है कि यह बर्फी बिना किसी रसायन के एक साल तक सुरक्षित रहती है और इसका स्वाद भी ताजा बना रहता है।
इस समूह की शुरुआत वर्ष 2019 में मात्र ₹15,000 की सहायता से मटर की खेती से हुई थी, जिससे पहले ही साल में ₹75,000 की कमाई हुई। आगे चलकर उन्होंने खेती छोड़ एप्पल सीडर विनेगर, सेब जैम, चटनी, आचार, बुरांश जूस और अंततः सेब की बर्फी का निर्माण शुरू किया। समूह की प्रधान आशु ठाकुर बताती हैं कि सेब की बर्फी की मांग अब कुल्लू, कामधेनु और स्थानीय बाजारों में भी बढ़ रही है। शिमला के पदमदेव परिसर में लगे ‘आकांक्षी हाट’ में यह बर्फी ₹325 प्रति डिब्बा बेची जा रही है और इच्छुक ग्राहक ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं।
एनआरएलएम मिशन के अधिकारी कुशाल सिंह के अनुसार, ऐसे स्वयं सहायता समूह ग्रामीण आजीविका को नई दिशा दे रहे हैं और जनजातीय क्षेत्रों में भी इस मॉडल को अपनाया जा रहा है। शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने स्वयं सहायता समूहों को मूलभूत सुविधाएं, प्रशिक्षण और बाजार से जोड़ने के लिए प्रशासन की प्रतिबद्धता जताई। सेब की यह खास बर्फी आज न सिर्फ स्वाद का प्रतीक बन चुकी है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी बन रही है।
Government to Raise Apple Growers’ Concerns with Centre, Assures CM Sukhu