हिमाचल प्रदेश योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन ने प्रदेश में सक्रिय एक फर्जी योगा संगठन के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। संघ ने कहा है कि कांगड़ा में 13-14 सितम्बर को आयोजित की जा रही अवैध योगा चैम्पियनशिप को तुरंत निरस्त किया जाए और आयोजनकर्ताओं के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें दंडित किया जाए।
योगासन संघ का कहना है कि यह केवल संगठनात्मक धोखाधड़ी का मामला नहीं है, बल्कि इससे सीधे तौर पर खिलाड़ियों और उनके अभिभावकों के भविष्य पर असर पड़ रहा है। यदि समय रहते प्रशासन और सरकार ने संज्ञान नहीं लिया, तो इससे पूरे प्रदेश में योगासन खेल की साख को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है।
संघ ने खेल मंत्री यादविन्दर गोम्मा को सौंपे ज्ञापन में बताया कि “हिमाचल योगा एसोसिएशन” नामक संस्था बिना किसी वैध पंजीकरण और बिना राज्य खेल परिषद की मान्यता के कार्य कर रही है। यह संस्था स्वयं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निकायों से जुड़ा बताकर खिलाड़ियों से फीस वसूल रही है और ऐसे प्रमाणपत्र दे रही है जिनकी कोई वैधता नहीं है।
संघ के संयुक्त सचिव विनोद कुमार ने स्पष्ट किया कि यह फर्जी संस्था न ही सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 2006 के अंतर्गत पंजीकृत है, न ही इसे कोई NOC प्राप्त है। इसके बावजूद यह संस्था बिना स्थानीय स्तर पर प्रतियोगिता कराए सीधे राज्य स्तरीय चैम्पियनशिप आयोजित कर रही है, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। संघ ने आरोप लगाया कि इसके माध्यम से कई खिलाड़ियों और परिवारों से हजारों रुपये की वसूली की गई है, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हैं।
योगासन संघ ने इस अवैध गतिविधि से जुड़े कुछ लोगों के नाम भी उजागर किए हैं, जिनमें रमन शर्मा, आचार्य महेन्दर शर्मा, वरिंदर चौधरी, योगी रणजीत सिंह, प्रिंस मोहन, सुनील कौल और जिमी ठाकुर प्रमुख हैं। इन सभी पर योजनाबद्ध तरीके से अभिभावकों और खिलाड़ियों को गुमराह करने का आरोप है।
इसके विपरीत, हिमाचल प्रदेश योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन ने अपनी वैधता और मान्यता से संबंधित दस्तावेज़ भी प्रस्तुत किए हैं। संघ को हिमाचल प्रदेश खेल परिषद से NOC प्राप्त है (दिनांक 4 नवम्बर 2022) और यह विधिवत रूप से 13 दिसम्बर 2022 से पंजीकृत है। साथ ही यह भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त योगासन भारत, इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन, और वर्ल्ड योगासन से संबद्ध है।
संघ ने सरकार से अपील की है कि इस पूरे प्रकरण में निम्नलिखित कदम उठाए जाएँ: (1) फर्जी चैम्पियनशिप पर रोक लगे, (2) दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए, (3) वसूली गई राशि लौटाई जाए, (4) ऐसे संगठनों को ब्लैकलिस्ट किया जाए, और (5) जन-जागरूकता अभियान चलाकर खिलाड़ियों को जागरूक किया जाए।
संघ ने यह भी कहा कि यह केवल आर्थिक धोखाधड़ी नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के सपनों और भविष्य से सीधा खिलवाड़ है। यदि समय रहते कार्यवाही नहीं हुई, तो यह राज्य की खेल संस्कृति और योगासन की प्रतिष्ठा पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव डालेगा। उन्होंने कहा कि यदि यह उपेक्षित रहा, तो इसे आने वाली पीढ़ियाँ “खेल इतिहास का सबसे बड़ा धोखा” मानेंगी।