भाषा एवं संस्कृति विभाग, जिला शिमला द्वारा राजभाषा पखवाड़ा-2025 के उपलक्ष्य में ऐतिहासिक गेयटी थियेटर के गोथिक हॉल में जिला स्तरीय अंतरविद्यालय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस मंच पर छात्रों ने भाषण, कविता वाचन और प्रश्नोत्तरी जैसी प्रतियोगिताओं के माध्यम से अपनी भाषाई प्रतिभा और रचनात्मक सोच का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
इस आयोजन में शिमला जिले के विभिन्न क्षेत्रों के 20 से अधिक विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार, राजभाषा के महत्व को उजागर करना, और लोक संस्कृति के प्रति युवाओं को जागरूक करना रहा। आयोजन की शुरुआत वरिष्ठ साहित्यकार एस. आर. हरनोट ने की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा ने विजेताओं को पुरस्कार राशि, प्रशस्तिपत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने अपने संबोधन में हिंदी भाषा के राष्ट्रीय महत्व पर बल देते हुए छात्रों को मातृभाषा के सम्मान, किताब पढ़ने की आदत और रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने की प्रेरणा दी।
भाषण प्रतियोगिता में “भारत का गौरव हिंदी” और “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और हिंदी भाषा का भविष्य” जैसे विषयों पर छात्रों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। कविता वाचन और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भी छात्रों ने गहरी समझ और भाषाई प्रवीणता का परिचय दिया। निर्णायक मंडल में वरिष्ठ साहित्यकारों और शिक्षाविदों ने प्रतिभागियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया।
भाषा अधिकारी अनिल हारटा ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और विभाग की ओर से वर्षभर चलने वाली भाषा एवं संस्कृति संरक्षण गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिंदी 11 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की राजभाषा है, और हिमाचल प्रदेश में भी यह मुख्य राजकीय भाषा के रूप में उपयोग में लाई जाती है।
कार्यक्रम में जिला लोक संपर्क अधिकारी सिंपल सकलानी, वरिष्ठ साहित्यकार गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, रंगकर्मी संजय सूद, और अन्य गणमान्य अतिथि व शिक्षकों ने भी उपस्थिति दर्ज करवाई। आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि युवा पीढ़ी न केवल भाषाई रूप से जागरूक है, बल्कि उसमें रचनात्मकता और विचारशीलता की भी भरपूर क्षमता है।