January 11, 2025

घायल का तुरंत ईलाज मौलिक अधिकार: प्रो.ललित डडवाल 

Date:

Share post:

दुर्घटना में घायल व्यक्ति का इलाज करने से कोई भी सरकारी या निजी अस्पताल इनकार नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मौलिक अधिकार घोषित किया है। इसी तरह गरिमा पूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार मृतक के मौलिक अधिकारों में शामिल है।  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रोफेसर ललित डडवाल ने यह जानकारी “मौलिक अधिकारों के संरक्षण में न्यायपालिका की भूमिका” विषय पर उमंग फाउंडेशन के वेबिनार में दी। उन्होंने बताया कि मौलिक अधिकारों के विस्तार और उनके संरक्षण में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अत्यंत प्रशंसनीय है। कार्यक्रम की संयोजक एवं प्रदेश विश्वविद्यालय से बॉटनी में पीएचडी कर रही अंजना ठाकुर ने कहा कि वेबिनार में हिमाचल प्रदेश के साथ ही पड़ोसी राज्यों और छत्तीसगढ़, बिहार तथा झारखंड के लगभग 70 युवाओं ने हिस्सा लिया। विशेषज्ञ वक्ता प्रो. डडवाल ने युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए। मानवाधिकार जागरूकता पर उमंग फाउंडेशन का यह 24वां साप्ताहिक वेबिनार था।

प्रो. ललित डडवाल ने भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों की विस्तृत व्याख्या करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में परमानंद कटारा बनाम भारत सरकार केस में फैसला दिया था कि दुर्घटना में घायल व्यक्ति को बिना कोई औपचारिकताएं पूरी किए नजदीक के सरकारी या निजी अस्पताल में इलाज कराने का मौलिक अधिकार है। इससे पहले आमतौर पर अस्पताल मरीजों का इलाज करने से इंकार कर देते थे।  उन्होंने कहा कि संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों के आधार पर न्यायपालिका ने अपने फैसलों के माध्यम से उन्हें काफी विस्तार दिया। न्यायपालिका द्वारा दिए गए अधिकारों को मानवाधिकार भी कहा जाता है। इनमें वयस्क महिला एवं पुरुष को अपनी पसंद से विवाह का अधिकार, निजता का अधिकार, मैला ढोने की कुप्रथा से मुक्ति का अधिकार, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं को सुरक्षा का अधिकार, समलैंगिक एवं ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार, विकलांगजनों को नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण का आधिकार और इंटरनेट तक पहुंच का अधिकार प्रमुख रूप से शामिल है।

उन्होंने कहा कि छुआछूत को छोड़कर मौलिक अधिकारों के मामले आमतौर पर राज्य के विरुद्ध दर्ज होते हैं। मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर पहले पीड़ित को मुआवजा देने की व्यवस्था नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी भी शुरुआत की। अनेक मामलों में पीड़ित व्यक्तियों को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी विभागों अथवा अन्य एजेंसियों से मुआवजा भी दिलवाया। कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद पर उन्होंने कहा की अंतिम फैसला तो कर्नाटक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट यही करेगा। कर्नाटक हाई कोर्ट मुख्य रूप से दो प्रश्नों पर विचार कर रहा है। पहला, क्या इस्लाम में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। दूसरा, क्या हिजाब धार्मिक चिन्ह है?  उन्होंने बताया कि 2018 में केरल हाईकोर्ट ने फातिमा बनाम केरल सरकार मामले में निर्णय दिया था कि विद्यार्थी कोई विशेष स्कूल यूनिफार्म पहनने पर जोर नहीं दे सकते। इसी प्रकार का एक निर्णय मुंबई हाईकोर्ट ने भी दिया था। उन्होंने कहा वर्तमान विवाद पर न्यायपालिका का निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण और दूरगामी होगा।

उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए प्रोफ़ेसर ललित डडवाल ने कहा कि दिव्यांग विद्यार्थियों, बेसहारा महिलाओं, बेघर बुजुर्गों, अनाथ बच्चों एवं अन्य कमजोर वर्गों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए उनकी जनहित याचिकाओं पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनेक महत्वपूर्ण निर्णय दिए। इससे प्रदेश सरकार की नीतियों में बड़ा बदलाव आया। वेबिनार के संचालन में संजीव शर्मा, मुकेश कुमार, अभिषेक भागड़ा, विनोद योगाचार्य और उदय वर्मा ने सहयोग दिया।

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Tourism and Employment Opportunities in Hamirpur

Chief Minister Thakur Sukhvinder Singh Sukhu today laid the foundation stone of the proposed Economic Development and Livelihood...

‘Make in India’ Hits New Heights: Syrma SGS Launches High-Tech Laptop Assembly Line in Chennai

In a groundbreaking development for India’s electronics manufacturing sector, Union Minister of Electronics and Information Technology, Railways, and...

कांग्रेस सरकार की नाकामियों पर जयराम ठाकुर ने उठाए सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में कहा है कि सरकार के...

हिमाचल प्रदेश के पीएम श्री स्कूलों में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ पर स्नेहा शर्मा ने जीता पहला स्थान

हिमाचल प्रदेश के पीएम श्री स्कूलों की राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' विषय के पक्ष में...