केंद्रीय प्रायोजित स्कीम के आधार पर हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मोबाइल वेटरनरी यूनिट चलाई गई है, जिसके अंतर्गत बीमारी से ग्रसित पशुओं का घर द्वार पर ही उपचार किया जा रहा है। यह सरकार द्वारा एक बहुत ही सराहनीय कदम है। परंतु इस मोबाइल यूनिट में नियुक्त किए गए वेटरिनरी ऑफीसर एवं अन्य स्टाफ को प्राधिकृत कंपनी द्वारा केंद्रीय पद्धति के अनुसार वेतनमान नहीं दिया जा रहा, अर्थात कम वेतन दिया जा रहा है, जिसका सभी पशु चिकित्सकों ने विरोध किया है।
मोबाइल वेटरनरी यूनिट के पशु चिकित्सकों द्वारा सोमवार दिनांक 24/06/24 से पेन डाउन स्ट्राइक का फैसला लिया गया, जिसमें पशु चिकित्सकों द्वारा काला रुमाल हाथ में बांधकर पूरे हिमाचल के मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स में रोष प्रकट किया गया। गौरतलब है कि सिर्फ हिमाचल प्रदेश में ही मोबाइल वेटरनरी स्टाफ को कम वेतन दिया जा रहा है। अगर तुलना की जाए तो अन्य प्रदेशों में इसी सुविधा में स्टाफ को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित वेतनमान दिया जा रहा है।
इसके अलावा भी पशु चिकित्सकों द्वारा काफी मांगे उठाई गई है जैसे कि अस्पताल में उचित बैठने की सुविधा न होना, मुफ्त दवाइयां उपलब्ध न करवाना, कुछ क्षेत्रों में बिना पशु चिकित्सकों के ही एंबुलेंस को चलाना, सरकारी कैलेंडर के अनुसार अवकाश न प्रदान किया जाना। इसके साथ कंपनी द्वारा वेटरनरी फार्मासिस्ट को चेतावनी पत्र भेजकर बिना पशु चिकित्सक के ही इलाज करने के लिए मजबूर करना भी कंपनी द्वारा किया गया एक निंदनीय कार्य है जिसका हिमाचल प्रदेश के सभी मोबाइल वेटरनरी यूनिट स्टाफ कड़ी निंदा करता है।
इस प्रकार का कदाचार न केवल लोगों की आस्था एवं विश्वास के साथ धोखाधड़ी है ब्लकि लोगों की भावनाओं को ठेस भी पहुंचाता है। चिकित्स्कों के द्वारा हर दिन निर्धारित समय से ज्यादा काम करना और ऊपर से उनका वेतन काटा जाना एक उनके साथ एक धोखा है|