February 4, 2025

गोवर्धन पूजन – डॉo कमल केo प्यासा

Date:

Share post:

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को दिवाली के अगले दिन आने वाले त्योहार को गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाता है ।उत्तर प्रदेश की कृष्ण जन्म भूमि में इस दिन इसकी (गोवर्धन पूजा की)बड़ी धूमधाम रहती है

डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा

भगवान श्री कृष्ण के साथ ही साथ गोवर्धन पर्वत व गायों आदि की विशेष रूप से इस दिन पूजा की जाती है।क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का गायों ,गोप गोपियों व गोवर्धन पर्वत से विशेष लगाव था, इसी लिए गाय के गोबर से ,इस दिन गोवर्धन पर्वत की आकृति बना कर उसकी पूजा अर्चना ,भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार का भोग लगा कर की जाती है और इस त्योहार को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है।त्योहार का संबंध देव इन्द्र से होने के कारण ही पूजा में देव वरुण, इन्द्र व अग्नि देव को भी शामिल किया जाता है। गोवर्धन पर्वत के पूजन आदि का चलन कैसे हुआ,इस संबंध में पौराणिक साहित्य से मिली जानकारी के अनुसार पता चलता है कि देव इन्द्र को अपने विशाल राज पाठ व शक्ति का बड़ा अभिमान हो गया था और वह अपने से आगे किसी को नहीं समझता था।

इसी कारण दूसरे सभी देवी देवता भी उससे तंग रहने लगे थे। भगवान श्री कृष्ण भी देव इन्द्र के अभिमानी व्यवहार से भलीभांति परिचित थे और उन्होंने अपनी लीला के माध्यम से उसे सबक सिखाने की योजना भी बना रखी थी।एक दिन सभी ब्रजवासी अपने अपने यहां बड़े बड़े पकवानों के साथ किसी आयोजन की तैयारी कर रहे थे,जिस पर भगवान श्री कृष्ण अपनी माता यशोधा से उसके बारे में पूछने लगे कि ये आज सब क्या हो रहा है। तब माता यशोधा ने श्री कृष्ण को बताया था कि ये सब देव इन्द्र को प्रसन्न व उसके पूजा पाठ के लिए किया जा रहा है।देव इन्द्र के वर्षा पानी से ही तो ये अन्न,घास आदि पैदा होता है,जिसे हम व सभी पशुओं का पेट भरता है।तभी तो हम सभी देव इन्द्र की पूजा करते हैं।

“ये तो गलत हैं मां,घास,लकड़ी ,पेड़ पौधे व अन्न तो गोवर्धन पर्वत देता है,तब तो उसकी तुम सभी को पूजा करनी चाहिए ।”
भगवान श्री कृष्ण ने अपनी मां यशोधा व लोगों से कहा । भगवान श्री कृष्ण के ऐसा कहने पर सभी लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे ,जिससे देव इन्द्र भगवान कृष्ण से नाराज़ हो कर ,उसे व लोगों को सबक सिखाने के लिए जोर जोर से वर्षा बरसाने लगते हैं जो कि लगातार सात दिन तक चलती रही । फलस्वरूप लोगों के पशुओं व अन्न आदि की बुरी तरह से तबाही हो गई ।जिससे सभी लोग नाराज़ हो गए तो उस समय भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठा कर व उसके अंदर सभी को समेट कर बचा लेते हैं।

देव इन्द्र भगवान कृष्ण के बचाव कार्य से ओर कुपित हो जाता है और वह ब्रह्माजी के पास पहुंच कर श्री कृष्ण की शिकायत करने लगता है।तब देव ब्रह्मा जी इन्द्र को समझते हुवे बताते हैं कि श्री कृष्ण कोई मामूली व्यक्तित्व नहीं ,ये तो भगवान विष्णु के अवतार हैं और तुम इनकी लीलाओं से बच कर रहो नहीं तो पछताओ गे।इतना सुनने पर देव इन्द्र की आंखे खुल गईं और फिर वह श्री कृष्ण से क्षमा मांगने लगे।इसके पश्चात देव इन्द्र द्वारा ही श्री कृष्ण की पूजा अर्चना 56 किस्म के भोग के साथ की गई और वहीं प्रथा तब से चली आ रही है। आज समस्त देश के साथ साथ मथुरा,वृंदावन,नंद गांव,गोकुल व बरसाना में इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से विशेष रूप में मनाया जाता है।

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

PM Excellence Award 2024: सिविल सेवकों के लिए बड़ा मौका, आवेदन शुरू!

देशभर में सिविल सेवकों द्वारा किए गए उत्कृष्ट और अनुकरणीय कार्यों को सम्मानित करने के लिए केंद्रीय प्रशासनिक...

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना: हिमाचल में ब्लड बैंक काउंसिल की स्थिति पर सवाल

हिमाचल प्रदेश में ब्लड बैंकिंग व्यवस्था गंभीर रूप से बीमार है। स्वास्थ्य विभाग खुद सुप्रीम कोर्ट के आदेशों...

मैं हवा हूँ खुद ही बीमार हो गई – रवींद्र कुमार शर्मा

मैं हवा हूँ खुद ही बीमार हो गईजब से हर तरफ ज़हर की भरमार हो गईसुधरता कोई नहीं...

CM Sukhu Declares War on ‘Delayed Corruption’ – Big Changes Ahead!

Chief Minister Thakur Sukhvinder Singh Sukhu presided over the annual function ‘Abhivyakti’ of the Himachal Pradesh Administrative Services...