December 27, 2024

हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी दिवस का उत्सव: राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन

Date:

Share post:

01 नवम्बर पूरे प्रदेश भर में पहाड़ी दिवस के रूप में मनाया जाता है। भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा के उन्नयन के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी पहाड़ी दिवस मना रहा है। इसी कड़ी में आज दिनांक 04.11.2024 को ‘राज्य स्तरीय पहाड़ी कवि सम्मेलन का आयोजन गेयटी थियेटर में किया गया, जिसमें प्रदेश के लगभग 30 साहित्यकारों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में पदमश्री विद्यानंद सरैक मुख्यातिथि के उपस्थित के रूप में उपस्थित रहे। राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार रमेश मस्ताना ने की। विभाग के उप निदेशक कुसुम संघाईक ने कार्यक्रम की जानाकारी सांझा करते हुए मुख्यातिथि तथा प्रदेश भर से आए विद्वानों का स्वागत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन साहित्यकार त्रिलोक सूर्यवंशी ने किया। इस अवसर पर प्रदेश के प्रसिद्ध साहित्यकार रमेश मस्ताना द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘कांगड़ी-प्हाड़ी-च प्रकाशित साहिŸाः रीत-परम्परां कनैं त्याह्स’ का विमोचन कार्यक्रम के मुख्यातिथि व विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित द्वारा किया गया। इस समारोह में आमंत्रित कवियों ने पहाड़ी भाषा व हिमाचली संस्कृति विषयों पर अपनी कविताएँ प्रस्तुत की

शिमला से भूपसिंह रंजन ने ‘बोलियां मिठड़ी पहाड़ारिओ’ शीर्षक पर, उमा ठाकुर ने ‘हमारी संस्कृति हमारे संस्कार’, मंडी से श्रीमती रूपेश्वरी ने ‘बारहमासा’ हरिप्रिया ने ‘प्रेमा रे बियु’, बिलासपुर से डॉ. रवीन्द्र शर्मा ने ‘मैं नशे रा शिकार हो गया’ चंबा से अशोक दर्द ने ‘मैं कविये दी लाड़ी’ सोलन से यशपाल कपूर ने ‘पराणे दिन’ मदन हिमाचली ने ‘तू सच क्यों नहीं बोलदा’ कुल्लू से दोतराम पहाड़िया ‘शोभला हिमाचल’ कुंदन भारद्वाज, राजपाल कुठलेहड़िया, दलीप सिंह, होशियार सिंह गौतम, प्रेमपाल आर्य, केवल सिंह भारती, रतन चंद निर्झर, डॉ. देशराज शर्मा, रामलाल वर्मा व नारायण सिंह वर्मा ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि पदमश्री विद्यानंद सरैक ने अपने भाषण में कार्यक्रम में उपस्थित समस्त कवियों द्वारा प्रस्तुत रचनाओं की सराहना की तथा उपस्थित साहित्यकारों को भविष्य में भी इसी प्रकार सृजनात्मकता के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने कहा कि हमें पहाड़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में लाने लिए एकजुट होकर प्रयास करना पडे़गा। विभाग के निदेशक डॉ॰ पंकज ललित ने प्रदेश भर से आये सभी विद्वानों से आह्वान किया कि पहाड़ी भाषा का प्रचार-प्रसार करना हम सभी का दायित्व है। डॉ॰ पंकज ललित ने पहाड़ी में लेखन के साथ-साथ इसे अधिक से अधिक व्यवहारिक रूप से प्रयोग में लाकर पहाड़ी भाषा को और अधिक समृद्ध बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कल दिनांक 05 नवम्बर, 2024 को लेखक गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा जिसमें प्रदेश भर से आमंत्रित विद्वान परिचर्चा में भाग लेंगे। विभाग के संयुक्त निदेशक मनजीत शर्मा ने मुख्यातिथि व प्रदेश भर से आए सभी कवियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में विभाग के सहायक निदेशक सुरेश राणा, सुनीला ठाकुर, गेयटी प्रबंधक सुदर्शन शर्मा, भाषा अधिकारी अनिल हारटा व दीपा शर्मा तथा अन्य श्रोतागण भी उपस्थित रहे।

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

BBSSL: Pioneering Seed Preservation in India

Union Home Minister and Minister of Cooperation Amit Shah chaired a review meeting of Bhartiya Beej Sahkari Samiti...

जुब्बल नावर कोटखाई क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम, 25 लाख की लागत से बनेगा विद्यालय भवन

शिक्षा मन्त्री रोहित ठाकुर आज जुब्बल क्षेत्र के सरस्वती नगर पंचायत के अंतर्गत चंद्रपुर गाँव में थे, जहाँ...

‘Ek Bharat Shreshtha Bharat’ Scheme Strengthens Unity Among Youth

In a vibrant exchange of ideas and experiences, students from the National Institute of Technology (NIT) Hamirpur and...

ललित कला अकादेमी की चित्रकला प्रदर्शनी: 49 कलाकृतियों की चित्रकला प्रदर्शनी

ललित कला अकादेमी, जो भारतीय कला और संस्कृति के संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभा रही है, ने अपनी...