शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आज ठियोग उपमंडल के अंतर्गत राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, देहा (बलसन) के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। यह भवन लगभग ₹2.87 करोड़ की लागत से निर्मित किया गया है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
उन्होंने बताया कि नई पीढ़ी को शिक्षित और सक्षम बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इसी दिशा में आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्कूल भवनों का निर्माण किया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रभावी नीतियों और शिक्षकों के समर्पित प्रयासों के परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। एनएएस सर्वेक्षण में राज्य 21वें से 5वें स्थान पर पहुंचा है, जबकि असर रिपोर्ट में प्रथम और परख रिपोर्ट में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि राज्य की साक्षरता दर अब 99.30% तक पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि प्रथम कक्षा से अंग्रेज़ी माध्यम शुरू करने, स्कूल एडॉप्शन योजना लागू करने और नो-डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त करने जैसे कदम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग में अब तक 7,000 नियमित शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है और 9,000 से अधिक पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है। साथ ही, एसएमसी शिक्षकों को एलडीआर के माध्यम से नियमित करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि इस वित्त वर्ष में शिक्षा क्षेत्र के लिए ₹10,000 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, जो राज्य के कुल बजट का लगभग 18% है। चौपाल विधानसभा क्षेत्र में भी ₹3 करोड़ से अधिक की राशि स्कूल भवनों के लिए स्वीकृत की गई है।
ठाकुर ने कहा कि देहा विद्यालय को शीघ्र फर्नीचर और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी तथा सीबीएसई संबद्धता के लिए इसे दूसरे चरण में प्रस्तावित किया जाएगा। उन्होंने विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ₹15-15 हजार रुपये देने की घोषणा भी की।
इसके उपरांत, शिक्षा मंत्री ने गुरुकुल पब्लिक स्कूल, देहा के रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने विद्यालय की 25 वर्ष की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि निजी संस्थान भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण भी आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि व्यक्तित्व का निर्माण करना भी है। समारोह में उन्होंने उत्कृष्ट विद्यार्थियों को सम्मानित किया और बच्चों की प्रस्तुतियों की सराहना की।
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