आतंकवाद: वैश्विक खतरा, भारत की पहल – राजनाथ सिंह

0
343

राजनाथ सिंह – केन्द्रीय रक्षा मंत्री

1. आतंकवाद: मूल्यों का सबसे बड़ा शत्रु
आज आतंकवाद विश्व समुदाय के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। यह न केवल शांति और सह-अस्तित्व के विरुद्ध है, बल्कि लोकतंत्र, विकास और मानवता जैसे सार्वभौमिक मूल्यों का भी घोर अपमान है। यह कट्टरपंथी सोच केवल भय, नफरत और विनाश को जन्म देती है, न कि किसी समाधान या परिवर्तन को। इतिहास गवाह है कि आतंकवाद कभी भी स्थायी और सकारात्मक परिणाम नहीं दे सका है।

2. आतंकवाद बनाम स्वतंत्रता संग्राम
यह भ्रम दूर होना चाहिए कि कोई आतंकवादी स्वतंत्रता सेनानी हो सकता है। किसी भी धार्मिक, वैचारिक या राजनीतिक कारण से निर्दोषों की हत्या को उचित नहीं ठहराया जा सकता। खून-खराबे से किसी मानवीय उद्देश्य की प्राप्ति असंभव है।

3. एक वैश्विक महामारी के रूप में आतंकवाद
प्राकृतिक आपदाएं समय के साथ समाप्त हो जाती हैं, लेकिन आतंकवाद एक ऐसी मानव निर्मित महामारी है जो तब तक बनी रहेगी जब तक इसके खिलाफ ठोस, संगठित और वैश्विक प्रयास नहीं होते। भारत इस लड़ाई में दुनिया के सामने एक उदाहरण बनकर उभरा है।

4. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद
भारत लंबे समय से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। हाल ही में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुआ हमला इसकी बर्बर मिसाल है। अब भारत की नीति स्पष्ट है—आतंकवादी जहां भी होंगे, उन्हें समाप्त किया जाएगा और आतंकवाद को समर्थन देने वाली सरकारों को भी जवाबदेह बनाया जाएगा।

5. भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति
अब भारत केवल प्रतिक्रिया करने वाला देश नहीं, बल्कि अग्रसक्रिय कार्रवाई करने वाला राष्ट्र बन गया है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2025 का ऑपरेशन सिंदूर इस नीति की मिसाल हैं। आतंकवादियों और उन्हें समर्थन देने वालों के बीच अब कोई भेद नहीं रखा जाएगा।

6. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की दृढ़ता
‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। एक जान भी अनेक जानों के बराबर है—यह भारत की नैतिक दृढ़ता को दर्शाता है।

7. नेटवर्क को भी समाप्त करना जरूरी
केवल आतंकियों के शिविरों को नष्ट करना पर्याप्त नहीं है। उनके आर्थिक, वैचारिक और राजनीतिक नेटवर्क को जड़ से समाप्त करना होगा। पाकिस्तान जैसे देशों को स्पष्ट संदेश दिया गया है कि जब तक वे आतंक का समर्थन करते रहेंगे, उन्हें कूटनीतिक या आर्थिक सहयोग नहीं मिलेगा। सिंधु जल संधि की समीक्षा इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

8. आतंकवाद: सीमाओं से परे एक संकट
आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं है। यह धर्म, संस्कृति और सीमाओं से परे जाकर वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। ऐसे में वैश्विक एकजुटता और मतभेदों से ऊपर उठकर कार्रवाई जरूरी है।

9. एक सर्वमान्य परिभाषा की आवश्यकता
आतंकवाद की स्पष्ट और व्यावहारिक परिभाषा के बिना वैश्विक प्रयास अधूरे रहेंगे। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में इस दिशा में प्रयास किया है, और अब समय आ गया है कि दुनिया इस पर एकमत हो।

10. आर्थिक समर्थन बंद हो
आतंकी संगठनों को संरक्षण देने वाले देशों की आर्थिक व्यवस्था पर भी चोट करना जरूरी है। IMF और FATF जैसे वैश्विक संस्थानों को यह समझना होगा कि बार-बार पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देना वैश्विक मूल्यों के खिलाफ है।

11. राज्य और आतंकवाद का घातक मेल
ऑपरेशन सिंदूर ने यह उजागर किया कि पाकिस्तान में राज्य और गैर-राज्य तत्वों की गतिविधियों में कोई स्पष्ट अंतर नहीं बचा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस खतरे को गंभीरता से लेना चाहिए, खासकर जब मामला परमाणु सुरक्षा से जुड़ा हो।

12. प्रॉक्सी युद्ध: छद्म आतंकवाद
कुछ देश अपने हित साधने के लिए दूसरों के माध्यम से आतंक फैलाते हैं। जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस रणनीति को उजागर नहीं करेगा, तब तक आतंकवाद की जड़ें गहरी होती रहेंगी।

13. तकनीकी आतंकवाद का उभार
नवीन तकनीकों जैसे AI, नैनोटेक्नोलॉजी और ऑगमेंटेड रियलिटी के माध्यम से आतंकवाद का प्रभाव वैश्विक हो गया है। इसे नियंत्रित करने के लिए विश्वस्तरीय सहयोग और तकनीकी निगरानी आवश्यक है।

14. वाजपेयी जी की दूरदृष्टि
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि आतंकवाद के लिए किसी भी प्रकार की वैचारिक, धार्मिक या राजनीतिक वैधता अस्वीकार्य है। यही सोच आज के समय में और भी प्रासंगिक हो गई है।

15. वैश्विक आह्वान
भारत आतंकवाद के सभी स्वरूपों के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। हम सभी शांतिप्रिय राष्ट्रों से आग्रह करते हैं कि वे अपने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर इस वैश्विक संकट के विरुद्ध एकजुट हों। आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित, स्थिर और शांतिपूर्ण विश्व देना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।

भारत अब आतंकवाद के प्रति न केवल जागरूक, बल्कि निर्णायक भी है। यह लड़ाई अकेले किसी एक राष्ट्र की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की है। आतंकवाद के खिलाफ एक वैश्विक, नैतिक और व्यावहारिक मोर्चा आज समय की मांग है।

NSC Delhi Unveils Upgraded Hall of Nuclear Power

Daily News Bulletin

Previous articleकोहबाग विद्यालय में पर्यावरण दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम
Next articleVice-President Visits Shimla, Receives Traditional Welcome
Keekli Bureau
Dear Reader, we are dedicated to delivering unbiased, in-depth journalism that seeks the truth and amplifies voices often left unheard. To continue our mission, we need your support. Every contribution, no matter the amount, helps sustain our research, reporting and the impact we strive to make. Join us in safeguarding the integrity and transparency of independent journalism. Your support fosters a free press, diverse viewpoints and an informed democracy. Thank you for supporting independent journalism.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here