सेना प्रशिक्षण कमान (आरट्रेक) ने आज अपना 35वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास से मनाया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में आरट्रेक के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा ने सैनिकों और कर्मचारियों को उनकी पेशेवर प्रतिबद्धता और उत्कृष्ट योगदान के लिए बधाई दी।
1991 में महू में स्थापित और 1993 से शिमला में कार्यरत आरट्रेक अब पूरे देश में 34 श्रेणी ‘ए’ प्रशिक्षण संस्थानों को मार्गदर्शन देता है। सेना को युद्ध की रणनीतियों में नवीनतम सोच से लैस करने वाले इस संगठन ने पिछले एक वर्ष में 18,000 सैनिकों को उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया है और 2030 तक 34 अत्याधुनिक तकनीकों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का लक्ष्य रखा है।
आरट्रेक ने नई युद्ध चुनौतियों के लिए ‘रेड टीमिंग’ जैसी विधियों को संस्थागत रूप दिया है और प्रमुख तकनीकी संस्थानों के साथ कई समझौता ज्ञापनों के माध्यम से संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित किया है। ‘प्रोजेक्ट एकलव्य’ के रूप में एक अत्याधुनिक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत भी की गई है।
महत्वपूर्ण उपलब्धियों में ‘रण संवाद 2025’ त्रि-सेवा संगोष्ठी, सामरिक नेतृत्व के लिए ‘स्ट्रेटेजिक फ्यूजन एंड कन्वर्जेंस कैप्सूल’ की शुरुआत, और पहली सीओएएस चौवर्षिक प्रशिक्षण निर्देशिका (2025–29) का प्रकाशन शामिल हैं।
समारोह के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 18 कार्मिकों को सम्मानित किया गया और आरट्रेक की वार्षिक पत्रिका ‘पिनैकल’ के 24वें संस्करण का विमोचन भी किया गया।
लेफ्टिनेंट जनरल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि आरट्रेक की सभी पहलें भारतीय सेना को ‘संयुक्तता’, ‘आत्मनिर्भरता’ और ‘नवाचार’ के स्तंभों पर भविष्य के युद्धों के लिए तैयार कर रही हैं, जो ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।