उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने आज यहां बचत भवन में बाल मजदूरों के रेस्क्यू और पुनर्वास विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने अपने संबोधन में भारत सरकार द्वारा बनाए गए बाल संरक्षण अधिनियम पर विस्तृत चर्चा की और उपस्थित जिला के विभिन्न थाना प्रभारियों एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारियों से सीधा संवाद किया, ताकि धरातल पर उपेक्षित एवं निर्धन किशोरों को लाभ मिल सके। उपायुक्त ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार निराश्रित बच्चों तथा समाज के कमजोर वर्गों के कल्याणार्थ गंभीरता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि कानून के प्रावधानों एवं सरकार की योजनाओं का लाभ वंचित समाज तक पहुंचना नितांत आवश्यक है तथा वंचित वर्ग के उत्थान के लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। आदित्य नेगी ने पुलिस विभाग, महिला एवं बाल विकास तथा श्रम विभाग के अधिकारियों को बेहतर समन्वय स्थापित करने का आह्वान किया ताकि केन्द्र एवं राज्य सरकार की समावेशी नीतियों का लाभ लक्षित वर्ग तक पहुंच सके और उनके अधिकार उन्हें मिल सके।
अधिवक्ता हिमाचल उच्च न्यायालय कुसुम चौधरी ने बाल मजदूरों के संरक्षण एवं पुनर्वास अधिनियमों पर विस्तृत प्रकाश डाला और उपस्थित प्रतिभागियों के संशय दूर किए। पुलिस उप-अधीक्षक विजय कुमार ने पुलिस विभाग एवं किशोर न्याय इकाई के सदस्यों के बीच बेहतर समन्वय और अतिव्यापी पर विस्तृत चर्चा की। जिला श्रम अधिकारी चन्द्रमणी शर्मा ने बाल मजदूर निषेध अधिनियम 1986 पर उपस्थित प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की और राज्य के प्रासंगिक कार्यों पर प्रकाश डाला। जिला बाल संरक्षण अधिकारी रमा कंवर ने उपायुक्त के समक्ष विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डाला और स्वयंसेवी संगठनों को जागरूक किए जाने वाली गतिविधियों पर जानकारी प्रदान की। इससे पूर्व जिला कार्यक्रम अधिकारी शिमला ममता पाॅल ने मुख्यातिथि का स्वागत किया और विभाग का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। इस अवसर पर बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अमिता भारद्वाज, सदस्य रीता शर्मा, रमेश खाची व निधि चौहान उपस्थित थे।