शिमला का ऐतिहासिक गेयटी थिएटर इन दिनों बच्चों की रचनात्मकता, कल्पनाशीलता और अभिनय कौशल से सराबोर है। अवसर है बाल रंगमंच महोत्सव 2025 का, जो 3 से 5 अक्टूबर तक प्रतिदिन सुबह 10:30 से दोपहर 4:00 बजे तक आयोजित हो रहा है। यह तीन दिवसीय इंटर स्कूल हिंदी नाटक प्रतियोगिता न केवल बाल प्रतिभाओं को मंच दे रही है, बल्कि शिक्षकों और रंगमंच विशेषज्ञों की भागीदारी से एक समृद्ध रचनात्मक साझेदारी भी बन रही है।
इस आयोजन का नेतृत्व कर रहा है कीकली चैरिटेबल ट्रस्ट, जो बच्चों और वरिष्ठ रंगकर्मियों के सहयोग से एक ऐसा मंच विकसित कर रहा है जहां पीढ़ियाँ एक-दूसरे से सीखती और संवाद करती हैं। ट्रस्ट का उद्देश्य है — बच्चों को उनकी संस्कृति, संवेदनाओं और मूल्यों से जोड़ते हुए रंगमंच के माध्यम से आत्म-अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम उपलब्ध कराना।
इस वर्ष का आयोजन खास है। इसमें हिमाचल प्रदेश के 19 प्रसिद्ध लेखकों द्वारा लिखी गई मौलिक हिंदी कहानियों को 19 स्कूलों द्वारा मंचित किया जा रहा है। शिमला और आसपास के इलाकों से आए लगभग 250 छात्र-छात्राएँ इन प्रस्तुतियों में भाग ले रहे हैं, जिनका निर्देशन उनके शिक्षक और ट्रस्ट की युवा क्रिएटिव डायरेक्टर्स की टीम ने मिलकर किया है।
प्रमुख प्रस्तुतियाँ (3 अक्टूबर):
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11:00–11:30 am — ऑकलैंड हाउस स्कूल; “अकेला” — गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय
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11:30–12:00 pm — ऑकलैंड हाउस स्कूल फॉर बॉयज़; “अनार का पेड़” — प्रो. कृष्णा बंसल
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12:00–12:30 pm — लक्ष्य पब्लिक स्कूल; “गंगा” — पौमिला ठाकुर
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2:00–2:30 pm — लक्ष्य कॉन्वेंट स्कूल; “करण’स एलीफैंट राइड” — डॉ. उषा बंदे
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2:30–3:00 pm — ई सी आई शैले डे स्कूल; “नोबल रिवेंज” — शगुन रनोट
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3:00–3:30 pm — दुर्गा पब्लिक स्कूल; “एहसास” — मनोज कुमार शिव
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3:30–4:00 pm — आइवी इंटरनेशनल स्कूल; “चित्रहार” — सोनिया डोगरा
रंगमंच जगत से प्रेरणा — अभिनेता विनीत कुमार की उपस्थिति
इस समारोह की शोभा बढ़ा रहे हैं विनीत कुमार, जो NSD से प्रशिक्षित हैं और कई भाषाओं की फिल्मों (हिंदी, तेलुगु, कन्नड़, अंग्रेज़ी और हॉलीवुड) में अपनी पहचान बना चुके हैं। उनका मार्गदर्शन बच्चों के लिए उत्साह और प्रेरणा का स्रोत है।
हर प्रस्तुति के पीछे है महीनों की तैयारी, समर्पित निर्देशन और प्रशिक्षण। वरिष्ठ रंग निर्देशकों — श्रीनिवास जोशी, जवाहर कौल, भूपेंद्र शर्मा, और विवेक मोहन — ने शिक्षकों को स्क्रिप्ट रूपांतरण और रंगमंचीय तकनीकों की कार्यशालाएं प्रदान कीं। वहीं युवा क्रिएटिव डायरेक्टर्स — श्रुति रोहटा, संजीव अरोड़ा, रूपेश भिमटा, नरेश के. मिनचा, नीरज पराशर और हेमंत अत्री — ने हर स्कूल के साथ मिलकर बच्चों की अभिनय क्षमता को तराशा।
श्रुति रोहटा ने चार टीमों का मार्गदर्शन किया, जबकि शेष निर्देशकों ने तीन-तीन प्रस्तुतियों का निर्देशन संभाला।
नाटकों का मूल्यांकन थिएटर जगत के अनुभवी जजों — अवतार साहनी, अनीता पांडे और सुरेश शर्मा द्वारा किया जा रहा है, जो प्रस्तुति की कलात्मकता, अभिनय और निर्देशन को ध्यान में रखते हुए निर्णय देंगे।
इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग देने वाले सभी विभागों और व्यक्तियों का आयोजकों ने विशेष आभार व्यक्त किया है, जिनमें शामिल हैं —
भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग, समग्र शिक्षा विभाग, La Himalayas, HimachalTonite (मीडिया पार्टनर), ‘विचलित’ अजय, गैटी थिएटर प्रबंधन, गुमनाम दानदाता, स्कूल प्रबंधन, शिक्षकगण और छात्र-छात्राएँ।