उमा ठाकुर, पंथाघाटी, शिमला
शुभ आशीष मिले तुम्हें,
हो स्वस्थ, सुखमय जीवन,
जन्मदिन के शुभ अवसर पर,
माँ की है यह दुआ ।
तुम्हारा मासूम स्पर्श पाकर,
ममत्व का, सम्पूर्ण होने का,
मातृत्व से परिपूर्ण एहसास,था उस दिन मैंने पाया ।
गूंज उठी किलकारी,
महक उठा घर आँगन,
दादा–दादी, नाना-नानी,
पापा, ताया-ताई, मासी,
के आँखों की चमक याद है मुझे ।
याद है वो रात भर जागना,
लोरी गाकर तुम्हें सुलाना,
वो पहला कदम,
वो पहली बार माँ (अम्मू) पुकारना,
वो अंगुली पकड़ाकर चलना सिखाना ।
वो स्कूल का पहला दिन,
छुट्टी पर तुम्हारा इंतजार,
वो मंदिर की घंटी बजाना,
नानी संग मंदिर में प्रशाद पाना ।
मेले में झूला झूलाना,
गाँव की मिट्टी के खेल,
हर पल, हर दिन, तुम्हारे साथ,
वो बचपन दुबारा जीना ।
अब तुम बड़े हो चले आयुष,
और बड़े हो चले तुम्हारे सपने,
तय करना होगा जीवन सफर खुद ही तुम्हें,
बिना थके, बिना रुके ।
बचा कर रखना तुम खुद को,
बुरी संगत और नशे की आदत से,
कर्ण तुम आगाह दोस्तों को,
की जीवन अनमोल है ।
भटकन जब हो महसूस,
तो कुछ पल ठहर जाना तुम,
खोल संस्कारों की पोटली,
नैतिक मूल्यों को जगाना तुम ।
है बस इतनी सी, ख़्वाहिश,
रिश्ते नातों का हो तुम्हें भान,
बड़े बुजुर्गों, बेटियों का,
दिल से करो सम्मान ।
जीवन का मोल तुम समझो,
वक्त के साथ चलकर,
मानव भीड़ से निकल,
अपनी अलग तुम पहचान बनाना ।
So beautifully written ❤️
वाह। शानदार।