इंसानियत शर्मसार हो गई
आदमी बदल रहा
पल पल चेहरे
चेहरे बेहिसाब हैं
दिखते नहीं
कहीं घरेलू
कहीं बाजारू
कहीं दिखाऊं
कहीं टिकाऊ और
बिक रहे हैं,तरह तरह के
रंग बदलते ये बिकाऊ चेहरे
कौन,किसके कैसे कैसे
कहां छिपे हैं ,दिखते नहीं
चेहरे से चेहरे सटे हुवें हैं
इक दूजे को ढके हुवे हैं
कुछ डरावने ,बेईमान कमीने
मासूमियत का मुलम्मा चढ़ाए हुवे हैं
इंसानियत शर्मसार हो गई
आदमी बदल रहा
पल पल चेहरे
किस ने देखे
किस ने समझे
किस ने जाना चेहरों का राज
क्योंकि, हर कोई लिए फिरता है
साक्षात चेहरे पे चेहरे
चेहरे हंसते
चेहरे रोते
सिसकते चेहरे शांत हो जाते
खूब नौटंकियां दिखा के
आतंक बहुत फैलाते चेहरे
सावधान, यदि तुम भी बचना चाहते हो
इन खौफनाक चेहरों से यारो
तो कथनी करनी का भेद मिटा के
पहले खुद अपने चेहरे से चेहरे हटा दो
इंसानियत शर्मसार हो गई
आदमी बदल रहा
पल पल चेहरे
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