भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोटा स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) के चौथे दीक्षांत समारोह में युवाओं, शिक्षा व्यवस्था और तकनीकी नेतृत्व को लेकर कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटर अब ‘पोचिंग सेंटर’ बन गए हैं — ये प्रतिभाओं के लिए ब्लैक होल साबित हो रहे हैं। अंकों की दौड़ और रटने की संस्कृति ने जिज्ञासा को दबा दिया है, और इससे युवा मानसिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा में विवेक की वापसी का आह्वान करते हुए कोचिंग सेंटरों से आग्रह किया कि वे अपने बुनियादी ढांचे को कौशल विकास केंद्रों में तब्दील करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा असेंबली लाइन नहीं हो सकती और कोचिंग सेंटर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रवाह के खिलाफ काम कर रहे हैं।
डिजिटल युग में राष्ट्रीय संप्रभुता को लेकर उन्होंने चेताया कि खतरा अब आक्रमणों से नहीं, बल्कि विदेशी डिजिटल ढांचे पर हमारी निर्भरता से है। उन्होंने कहा कि एल्गोरिद्म और कोड आधुनिक युद्ध के नए हथियार हैं। “तकनीकी नेतृत्व देशभक्ति का नया आयाम है,” उन्होंने कहा।
धनखड़ ने इस बात पर बल दिया कि भारत को डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रणी बनना चाहिए और भारतीयों को अपना डिजिटल भाग्य स्वयं लिखना होगा। “हमारे कोडर, एआई इंजीनियर और डेटा वैज्ञानिक आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता हैं,” उन्होंने कहा।
समारोह में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, बीओजी अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) ए.के. भट्ट, निदेशक प्रोफेसर एन.पी. पाढ़ी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।




