हिमाचल प्रदेश कंप्यूटर विज्ञान प्रवक्ता संघ (HPCSLA) ने विद्यालय शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रवक्ताओं (स्कूल न्यू) को कक्षा छठी से बाहरवीं तक पढ़ाने के निर्देश पर गहरी आपत्ति जताई है। संघ का कहना है कि यह निर्णय न केवल विषय विशेषज्ञता की अवहेलना करता है, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मूल भावना के भी विरुद्ध है। संघ ने आरोप लगाया कि आनन-फानन में लिया गया यह निर्णय शिक्षकों की गरिमा, दक्षता और पद की भूमिका के साथ अन्याय है।
संघ का मानना है कि प्रवक्ताओं की नियुक्ति स्नातकोत्तर डिग्री व विषय विशेषज्ञता के आधार पर की जाती है, ताकि वे कक्षा 11वीं व 12वीं के विद्यार्थियों को उच्च स्तर पर मार्गदर्शन दे सकें। संघ ने यह भी बताया कि पहले से ही कंप्यूटर विज्ञान प्रवक्ताओं को बिना विषय आबंटन के अन्य प्रवक्ताओं के समान कार्यभार सौंपा गया है और अब उन्हें छठी से बाहरवीं तक पढ़ाने का आदेश देकर उनकी कार्यक्षमता और स्थिति को अनदेखा किया जा रहा है।
संघ ने विभाग पर यह भी आरोप लगाया कि वह एक ही प्रवक्ता कैडर को “प्रवक्ता (पुराने)” और “प्रवक्ता (स्कूल न्यू)” के नाम पर बांटकर भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है, जो न केवल अनुचित है बल्कि शैक्षणिक माहौल में अविश्वास की भावना भी उत्पन्न कर सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि छठी से दसवीं तक की कक्षाओं के लिए पहले से ही उपयुक्त शिक्षकों के कैडर उपलब्ध हैं, जिनमें आवश्यकता अनुसार नियुक्ति की जानी चाहिए।
संघ ने यह भी कहा कि शिक्षकों को नॉन-टीचिंग गतिविधियों में लगातार उलझाने से शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। ऐसे में विभाग को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पैरा 5.9 और 5.12 का पालन करते हुए शिक्षकों को केवल शैक्षणिक कार्यों में ही संलग्न करना चाहिए। साथ ही पैरा 5.17 में उल्लिखित विशेष प्रयासों पर विशेष प्रमोशन और वित्तीय लाभ देने की भी बात संघ ने दोहराई है।
अंततः संघ ने विभाग से मांग की है कि ग़ैर-शिक्षण कार्यों के लिए नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती की जाए और शिक्षकों को उनकी योग्यता व पद की गरिमा के अनुसार ही कार्य सौंपा जाए, जिससे विद्यालयों में एक स्वस्थ, समन्वित और प्रभावी शैक्षणिक वातावरण बन सके।