तिब्बती समुदाय के आध्यात्मिक गुरु परम पावन दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस के अवसर पर छोटा शिमला स्थित सम्भोटा तिब्बतन स्कूल में एक भव्य सांस्कृतिक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
इस अवसर पर उप-मुख्यमंत्री ने दलाई लामा को विश्व शांति, करुणा और मानवता का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनका जीवन सत्य, अहिंसा और करुणा की मिसाल है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला को जो अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है, उसका श्रेय पूरी तरह परम पावन दलाई लामा को जाता है। “हिमाचल की भूमि पर उनका निवास हम सभी के लिए गर्व की बात है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि तिब्बती संस्कृति हिमाचल की सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध करती है और हर भारतीय को इसके इतिहास और परंपराओं को जानना चाहिए। भारत और हिमाचल प्रदेश ने तिब्बती समुदाय के साथ हमेशा सद्भाव और भाईचारे का व्यवहार किया है।
उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि तिब्बती समुदाय के हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने समय-समय पर महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की बौद्ध धर्म और दलाई लामा के प्रति आस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि तिब्बती समुदाय को मतदान का अधिकार दिया जाना भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं की मिसाल है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य में आयोजित होने वाले मेलों और उत्सवों में तिब्बती कलाकारों को अपनी संस्कृति प्रस्तुत करने के अधिक अवसर दिए जाएंगे। साथ ही, उन्होंने भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग को तिब्बती सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के संरक्षण के निर्देश भी दिए।
समारोह में उप-मुख्यमंत्री ने निःशुल्क चिकित्सा शिविर का शुभारंभ भी किया। इस मौके पर तिब्बती छात्रों और कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।
कार्यक्रम में भारत-तिब्बत मैत्री संघ के अध्यक्ष प्रो. वी. एस. नेगी ने तिब्बती संस्कृति और इतिहास पर प्रकाश डाला। तिब्बती प्रतिनिधि लखपा त्सेरिंग ने उप-मुख्यमंत्री का स्वागत किया और कार्यक्रम की जानकारी दी।
इस अवसर पर शिमला नगर निगम के महापौर सुरेन्द्र चौहान, पार्षद शीनम कटारिया, एलटीए अध्यक्ष तेन्जिन, पूर्व महापौर राकेश शर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।