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भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश शिमला द्वारा धार्मिक संस्थानों, पुरातन स्मारकों व पुराने स्थलों के लिए सहायता अनुदान योजना-12 पर आधारित खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय रोहड़ू के सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन करवाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. पंकज ललित, निदेशक, भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश ने किया। कार्यशाला का संचालन जिला भाषा अधिकारी शिमला अनिल हारटा ने किया।
इस अवसर पर संग्रहालयाध्यक्ष राज्य संग्रहालय डा. हरी चौहान ने पीपीटी के माध्यम से योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि मंदिरों के पुरातन स्वरूप की वास्तुशैली को भावी पीढ़ी के लिए बचा कर रखने व उसके जीर्णोद्धार करने की हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
इस अवसर पर टेंपल आर्किटेक्ट स्वप्निल भोले ने पीपीटी के माध्यम से रोहड़ू व छोहारा क्षेत्र के साथ-साथ के प्रदेश के विभिन्न मंदिर वास्तुशिल्प के बारे मे विस्तृत जानकारी प्रदान की तथा मन्दिर के नक्काशी किए हुए लकड़ी के पैनल, खंडित मूर्तियों को प्रवाहित व नष्ट करने की बजाए राज्य संग्रहालय शिमला को प्रदर्शन हेतु स्वेच्छा से भेंट करने का आग्रह किया ताकि इस विरासत को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जा सके।
डा. पंकज ललित ने धार्मिक संस्थानों, मन्दिरों के वास्तुशिल्प को बचाए रखने के लिए इसकी विशेषताओं मे बताया कि काठ कुनि शैली मे बने मन्दिर भूकंप निरोधी होते है। इस शैली के मन्दिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और पर्यटन को बढ़ावा देने मे सहायक है। उन्होंने मन्दिर समितियों के उपस्थिति सदस्यों से इसमें सामुदायिक सहयोग के माध्यम से प्रलेखन, पुराने स्वरूप, नक्शा आदि को काष्ठ कला के माध्यम से मंदिर भवन में उकेरने तथा भावी पीढ़ी को उसके मूल स्वरूप को बनवाने की अपील की ताकि परंपरागत शैली की बनी धरोहरों को बचाएं रखने में मदद मिल सके।
उन्होने विभाग द्वारा कला, साहित्य, संस्कृति की विभिन्न विधाओं के संरक्षण व संवर्धन के बारे में भी विस्तृत जानकारी देते हुए इस क्षेत्र में प्रचलित गायन, वादन, नृत्य, धातु कला, काष्ठ कला, प्रस्तर कला मे निपुण कलाकारों को विभाग के सम्पर्क में लाने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों व मन्दिर से जुड़ी संस्थाओं से अपील की।
कार्यशाला मे रोहड़ू व छोहारा विकास खण्डों के पंचायतों के प्रधानों, 50 से अधिक मंदिर समितियों के मोहतमीन, कारदार, पंजीकृत समितियों के प्रधान व सचिव उपस्थिति रहे जिन्होंने विभागीय योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त की ओर अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए परिचर्चा में बड़ चढ़ कर भाग लिया।
इस अवसर पर खण्ड विकास अधिकारी हितेंद्र शर्मा, दोनों विकास खण्डों के कनिष्ठ अभियंता रामेश्वर सिंह, सतीश कुमार, राजीव डोगरा तथा भाषा संस्कृति विभाग से परिरक्षण सहायक विकास वनियाल, प्रारूपकार अतुल पल्हनिया, शिवम् ठाकुर, राजेन्द्र चौहान, गोपाल सिंह आदि मौजूद रहे।
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