आज हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा रोटरी टाउन हॉल, शिमला में वरिष्ठ आलोचक डॉ. हेमराज कौशिक की आलोचना पुस्तक “कथा समय की गतिशीलता” का लोकार्पण वरिष्ठ और युवा लेखकों और साहित्य अनुरागियों की उपस्थिति में किया गया। मंच पर लोकार्पण हेतु श्रीनिवास जोशी, उषा बंदे, मीनाक्षी एफ पॉल, सेतु के संपादक देवेंद्र गुप्ता, एस.आर. हरनोट और अकादमी के सचिव डा कर्म सिंह उपस्थित थे। मंच के युवा सदस्य कवि दिनेश शर्मा ने मंच और सभी उपस्थित लेखकों तथा साहित्य प्रेमियों का स्वागत करते हुए मंच की गतिविधियों से अवगत करवाया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ आलोचक व लेखक डॉ. ऊषा वंदे, सेतु पत्रिका के संपादक डॉ.देवेंद्र गुप्ता और आलोचक अनुवादक प्रो.मीनाक्षी एफ पॉल ने पुस्तक पर विस्तार से अपनी बात रखी और सभी ने कौशिक जी के श्रम की प्रशंसा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनिवास जोशी जी ने की।
हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एस.आर.हरनोट ने जानकारी दी कि “कथा समय की गतिशीलता” वरिष्ठ आलोचक डॉ.हेमराज कौशिक की 17वीं आलोचना पुस्तक है जो पुष्पांजलि प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुई है जिसके तीन खंडों में 24 आलेख शामिल हैं। पहले भाग कथा परिदृश्य-1 में उन्होंने यशपाल के झूठा सच, रेणु के चार उपन्यास,कृष्णा सोबती के पांच उपन्यासों सहित पंजाबी के उपन्यासकार रामस्वरूप अणखी, महाराज कृष्ण काव सहित कई अन्य उपन्यासकारों पर विस्तार से लिखा है। दूसरा भाग कुछ कहानिकारों पर केंद्रित है जबकि तीसरा खंड हिमाचल में लिखे गए साठ उपन्यासकारो के लगभग दो सौ उपन्यासों पर सारगर्भित आलोचकीय टिप्पणियां है।
श्री हरनोट ने आगे बताया कि कौशिक जी आलोचना में कई बरसों से सक्रिय है और निरंतर लिख रहे हैं। उनका अध्ययन बहुत विस्तृत है।
कार्यक्रम के अंत में मंच के सदस्य सीता राम शर्मा ने उपस्थित लेखकों, साहित्य प्रेमियों, प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया तथा रोटरी टाउन हाल के केयरटेकर विजय सहित रोटरी प्रबंधन का सहयोग के लिए धन्यवाद किया।
आयोजन में आचार्य मस्त राम शर्मा, भाषा विभाग के पूर्व उप निदेशक जगदीश शर्मा, डॉ.विद्या निधि छाबड़ा, आचार्य लाइक राम शर्मा, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, सतीश रत्न, दीप्ति सारस्वत प्रतिमा, कल्पना गांगटा, डॉ.विकास सिंह, भारती कुठियाला, देव कन्या ठाकुर, ओम प्रकाश शर्मा, नीता अग्रवाल, निर्मल चंदेल,सुमित राज, वंदना भागड़ा,शांति स्वरूप शर्मा, लेखराज चौहान, विपाशा के संपादक अजेय शर्मा, रोशन लाल पराशर,वंदना राणा, यादव चंद सलहोतरा,गुलपाल वर्मा,जगदीश कश्यप, तरुण नेष्टा, भूप रंजन, डॉ.मीनाक्षी शर्मा, दिनेश कौशिक, कांता कौशिक इत्यादि बहुत से युवा वरिष्ठ लेखक और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
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