शिमला के गेयटी थियेटर में हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. विजय लक्ष्मी नेगी के नवीनतम काव्य संग्रह “गाँव पूछता है” का लोकार्पण किया गया। यह कार्यक्रम सम्मेलन कक्ष में संपन्न हुआ, जिसमें डॉ. पंकज ललित, निदेशक, भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
लेखन की व्यापकता पर डॉ. पंकज ललित के विचार


डॉ. पंकज ललित ने अपने संबोधन में कहा कि लेखन गहरी और व्यापक दृष्टि का माध्यम है, जो सरलता से पाठकों तक पहुंचता है। उन्होंने विजय लक्ष्मी नेगी की लेखन शैली की प्रशंसा करते हुए इसे लेखकीय चेतना का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग साहित्य और कला को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने साहित्यकारों को विभाग द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं का लाभ उठाने का आग्रह किया, जिसमें वरिष्ठ साहित्यकारों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद और किताबघर में हिमाचल के लेखकों की कृतियों को स्थान देने जैसी पहल शामिल हैं।
“गाँव पूछता है” पर समीक्षात्मक विचार
युवा आलोचक प्रशांत रमन रवि ने संग्रह पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विजय लक्ष्मी नेगी की कविताएं जीवन की प्रामाणिकता और संवेदनशीलता को दर्शाती हैं। यह कविताएं साधारण जीवन के बड़े प्रश्नों को सरलता से अभिव्यक्त करती हैं। लेखिका एवं फिल्म निर्माता देव कन्या ने कहा कि यह संग्रह स्त्री विमर्श, पर्यावरण जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारियों को एक नई दिशा प्रदान करता है।
महिला सशक्तिकरण का प्रतीक


देव कन्या ने कहा कि जब एक महिला अपने जीवन में कलम और डायरी को चुनती है, तो वह एक नई दुनिया का सृजन करती है। यह काव्य संग्रह इसी चेतना का प्रतीक है। विजय लक्ष्मी की कविताएं आत्मीयता, समाज की वास्तविकता और व्यवस्था पर व्यंग्य के साथ-साथ स्वप्रेम की भावना को भी व्यक्त करती हैं।
मंच की उपलब्धियां
कार्यक्रम में मंच के संयोजक एस. आर. हरनौट ने मंच की तीन वर्षों की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मंच अब तक 30 राज्य और राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन कर चुका है।
लेखिका की सृजन यात्रा
डॉ. विजय लक्ष्मी नेगी ने अपनी सृजन यात्रा के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके विचार, जो कभी सपनों में आए थे, अब कविताओं के रूप में पाठकों तक पहुंच रहे हैं। उन्होंने अपनी कविताओं का पाठ भी किया, जिसे दर्शकों ने सराहा।
अतिथियों के विचार
प्रख्यात आलोचक डॉ. हेम राज कौशिक ने संग्रह की गहराई की सराहना की और इसे लेखिका की सृजनशीलता का परिणाम बताया। डॉ. विद्यासागर शर्मा ने कहा कि सृजनशील लेखक अपने विचारों को कविताओं और कहानियों के रूप में प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करता है।
कार्यक्रम की सफलता
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्य नारायण स्नेही ने किया और इसे साहित्यकारों, शिक्षाविदों और दर्शकों की उपस्थिति ने सफल बनाया।यह आयोजन हिमाचल प्रदेश की साहित्यिक विरासत और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को संजोने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।