हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (हिमकोस्ट), शिमला द्वारा ग्लोरियस साइंस वीक – विज्ञान सर्वत्र पूज्यते एक सप्ताह के लंबे कार्यक्रम का चौथा दिन (24 फरवरी 2022) सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, संजौली, शिमला में मनाया गया। आज के कार्यक्रम की शुरुआत डॉक्यूमेंट्री( (क्वांटम साइंस एंड टेक्नोलॉजी) )से की गयी| कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. पीके अहलूवालिया, पूर्व भौतिकी के प्रोफेसर, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के व्याख्यान से हुई। इनका व्याख्यान विज्ञान सप्ताह के तहत तीसरे विषय शानदार आविष्कार और नवाचार पर आधारित था। उन्होंने भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के 75 प्रभावशाली वर्षों पर व्याख्यान दिया। उनका व्याख्यान डॉ होमी भाबा, डॉ एम एस स्वामीनाथन, श्री विक्रम साराभाई और डॉ अब्दुल कलाम जैसे भारत के वैज्ञानिकों से संबंधित उपलब्धियों की कहानियों के संदर्भ पर आधारित था। उन्होंने 1947 के बाद से अब तक की भारत की चुनाव प्रक्रिया पर चर्चा की, पहले स्याही का इस्तेमाल किया था जो कि मतदान करने वाले व्यक्तियों को मान्य करने के लिए लगाई जाती थी जो AgNO3 (इंक फार्मेशन फार्मूला) द्वारा बनाई गई थी, बाद में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन द्वारा बनाई गयी ईवीएम मशीनों का प्रयोग आसान मतदान प्रक्रिया के लिए किया गया।
उन्होंने रिसर्च लैब्स के पिता श्री शांति स्वरूप भटनागर की उपलब्धियों के बारे में बताया। डॉ. होमी भाबा को परमाणु के क्षेत्र में उनके सराहनीय कार्य के लिए व्याख्यान में भी शामिल किया गया था। डॉ. अब्दुल कलाम को भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, आकाश और नाग मिसाइल तैयार करने के लिए भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता है। डॉ. एम एस स्वामीनाथन हरित क्रांति के जनक थे। 1947 में भारत भोजन की कमी की समस्याओं का सामना कर रहा था जिससे प्रभावित होकर स्वामीनाथन जी ने हरित क्रांति लायी। डॉ. वर्गीज कुरियन ने त्रिभुवन दास पटेल, सरदार वल्ल्भव भाई पटेल और नागन भाई पटेल के साथ मिलकर भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों को दूर करने के लिए श्वेत क्रांति के क्षेत्र में योगदान दिया। टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान ने 1959 में भारत का पहला स्वचालित कंप्यूटर बनाया। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों (संचार, परिवहन, स्वास्थ्य) आदि में इसरो के योगदान पर भी प्रकाश डाला गया। उन्होंने छात्रों को नंदन नीलेकणि और विरल शाह द्वारा रिबूटिंग इंडिया: आधार पर पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित किया, जो भारत के परिवर्तन के लिए एक टेम्पलेट के रूप में कार्य करता है। दूसरे वक्ता श्री सौरभ चौबे, महाप्रबंधक, आईआईटी उत्प्रेरक, मंडी थे। उन्होंने ने भारत के स्टार्ट–अप भविष्य और इसे बढ़ावा देने में मीडिया के महत्व पर प्रकाश डाला ।
विश्व रैंकिंग में भारत तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट–अप इकोसिस्टम है। अब तक 91 यूनिकॉर्न स्टार्ट–अप शुरू हो चुके हैं, जिसके तहत स्टार्ट–अप इंडिया में 1, 92,750 स्टार्ट–अप पंजीकृत हैं। उन्होंने भारत के विभिन्न उद्यमियों के स्टार्ट–अप वीडियो के माध्यम से और बेहतर भविष्य के लिए नवाचार के विभिन्न क्षेत्रों पर काम करने के लिए छात्रों को प्रेरित किया। उन्होंने उभरते क्षेत्रों जैसे स्टार्ट–अप में कृत्रिम प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों, ब्लॉक श्रृंखला अनुप्रयोगों (डिजिटल मुद्रा और धोखाधड़ी में कमी, प्रतिभूतियों और रिकॉर्ड कीपिंग), मिश्रित वास्तविकता अनुप्रयोगों (इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सैन्य आदि) पर ध्यान केंद्रित किया, जिस पर नए नवाचार हो सकता है। श्री सतपाल धीमान, अतिरिक्त सचिव, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और संयुक्त सदस्य सचिव, हिमकोस्ट ने वक्ताओं को सम्मानित किया । छात्रों के लिए आज की गतिविधि विज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता थी जिसमें कोटशेरा, आरकेएमवी, संजौली कॉलेज, सुन्नी कॉलेज, सेंट बिड्स, शिमला और सोलन कॉलेज ने भाग लिया।