हिमाचल प्रदेश में वन विभाग ने प्रदेश की बंजर और अनुपयोगी भूमि को हरा-भरा बनाने का बड़ा संकल्प लिया है। वर्ष 2025 में राज्य में कुल 1820 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। इस व्यापक हरित अभियान को तीन प्रमुख योजनाओं के तहत अंजाम दिया जाएगा।
वन विभाग स्वयं 1000 हेक्टेयर भूमि पर पौधे रोपेगा, जबकि राजीव गांधी वन संवर्द्धन योजना के अंतर्गत 600 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। इसके अतिरिक्त जाइका वानिकी परियोजना के माध्यम से 220 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण किया जाएगा।
इस पहल की शुरुआत राज्य स्तरीय वन महोत्सव से होगी। इन योजनाओं का उद्देश्य न केवल वन क्षेत्र में वृद्धि करना है, बल्कि स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से महिला मंडलों, युवक मंडलों और स्वयं सहायता समूहों को सक्रिय रूप से इस अभियान में शामिल करना भी है।
मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा दो जून को हमीरपुर में शुरू की गई राजीव गांधी वन संवर्द्धन योजना के अंतर्गत न केवल पर्यावरण को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि बंजर भूमि पर फलदार वृक्षों के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण भी सुनिश्चित किया जाएगा।
यह योजनाएँ दोहरे लाभ की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं—एक ओर पर्यावरणीय सुधार, दूसरी ओर स्थानीय आजीविका और रोजगार के अवसर। पौधों की पाँच वर्षों तक देखभाल की जिम्मेदारी भी समुदायों को सौंपी जाएगी, जिससे उनकी दीर्घकालिक जीवंतता सुनिश्चित हो सके।
पिछले वर्ष जाइका परियोजना ने 1296 हेक्टेयर, जबकि मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना के अंतर्गत 100 हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण किया गया था।
इस बार के लक्ष्य से हिमाचल प्रदेश न केवल अपने हरित आवरण को बढ़ाएगा, बल्कि सामुदायिक भागीदारी के ज़रिए स्थायी वन प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम भी उठाएगा।