February 22, 2025

हिमाचल की दुग्ध क्रांति: दत्तनगर में 50,000 लीटर क्षमता वाले नए संयंत्र का उद्घाटन

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जिला शिमला के रामपुर उपमंडल में नवनिर्मित दत्तनगर दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र नई दुग्ध क्रांति में अहम भूमिका निभाएगा। हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस 50000 लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र का उद्घाटन किया है। उल्लेखनीय है कि दत्तनगर में पहले से 20000 लीटर क्षमता का दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र और 5 मीट्रिक टन प्रतिदिन की क्षमता का एक पाउडर प्लांट 2012 से क्रियाशील है और इस नए दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र के बनने से दत्तनगर में कुल 70000 लीटर प्रतिदिन की क्षमता हो गई है। दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र दत्तनगर में 50,000 लीटर प्रतिदिन क्षमता को क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों के लाभ के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम और हिम गंगा योजना के तहत 25.67 करोड रुपये की लागत से बनाया गया है, जिससे इस क्षेत्र के अधिक से अधिक किसानों व दुग्ध उत्पादकों को जोड़ा जा सकेगा और लाभ पहुँचाया जायेगा। यह संयंत्र दूध, घी, मक्खन, पनीर, लस्सी और फ्लेवर्ड मिल्क का उत्पादन करेगा।

संयंत्र के बनने से न केवल क्षेत्र में दुग्ध उत्पादकों को लाभ होगा बल्कि क्षेत्र में युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। हिमाचल प्रदेश दुग्ध उत्पादक प्रसंघ चार जिलों यानि शिमला, कुल्लू, मण्डी और किन्नौर से दूध एकत्र कर रहा है। 2012 के दौरान इन क्षेत्रों में दुग्ध संग्रह मात्र 25000 से 26000 प्रतिदिन था, जो आज की तारीख में बढ़कर 1.00 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है, जिसमें 95 प्रतिशत दूध कुल्लू क्षेत्र से एकत्रित किया जा रहा है। प्रसंघ किन्नौर के चांगो तक दूर-दराज के इलाकों से यहा दूध एकत्र कर रहा है। हिमाचल प्रदेश दुग्ध उत्पादक प्रसंघ 1980 में पंजीकृत किया गया था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर, सिरमौर, सोलन और शिमला जिलों के कुछ हिस्सों में डेयरी विकास गतिविधियों को स्थानांतरित करने के बाद 02 अक्टूबर 1983 से प्रसंघ का प्रभावी ढंग से संचालन शुरू किया गया। उल्लेखनीय है कि जुलाई 1992 से हिमाचल प्रदेश के शेष हिस्सों की दुग्ध आपूर्ति योजनाओं को दुग्ध प्रसंघ में हस्तांतरित कर दिया गया था।

इसके संचालन के लिए, राज्य को प्रसंघ द्वारा तीन इकाइयों कांगड़ा, मंडी और शिमला में विभाजित किया गया है। कांगड़ा इकाई के संचालन का क्षेत्र चंबा, कांगड़ा, हमीरपुर और ऊना जिला में है जबकि मंडी इकाई के संचालन का क्षेत्र बिलासपुर, कुल्लू और मंडी जिला में है। इसी प्रकार, शिमला इकाई के संचालन का क्षेत्र शिमला, सिरमौर, सोलन और कुल्लू जिला में है। हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ द्वारा डेयरी विकास कार्यक्रमों में अपनी गतिविधियां प्रदेश के 11 जिलों (लाहौल स्पीति जिला को छोड़कर) में चलाई जा रही हैं। वर्ष 2023-24 के दौरान प्रसंघ ने 47905 से अधिक की सदस्यता वाले 1148 ग्राम डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से प्रतिदिन औसतन लगभग 1,70,000 लीटर दूध की खरीद की। एक ही दिन में अधिकतम खरीद 2.00 लाख लीटर दर्ज की गई है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ के अंतर्गत 11 दुग्ध विधायन संयंत्र कार्यरत हैं, जिनकी कुल क्षमता 1,30,000 लीटर प्रति दिन है। 

*शिमला के साथ लगते जिला के दुग्ध उत्पादक भी होंगे लाभान्वित – अनुपम कश्यप*

उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने कहा कि दत्तनगर दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र न केवल रामपुर क्षेत्र बल्कि साथ लगते जिला कुल्लू, मंडी और किन्नौर के दुग्ध उत्पादकों को लाभान्वित करेगा। जहाँ एक ओर प्रदेश सरकार द्वारा दूध के दाम बढ़ाए जाने से दुग्ध उत्पादक को अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है, वहीँ दूसरी ओर युवाओं को दुग्ध क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इस संयंत्र के बनने से दूसरे राज्यों से आने वाले दूध और दूध उत्पादों पर प्रदेश की निर्भरता कम होगी और इसका सीधा लाभ प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को होगा। दूध के बेहतर दाम मिलने से लोग अपनी गायों को निराश्रित सड़कों पर नहीं छोड़ेंगे जिससे सड़क पर होने वाले हादसों में कमी देखने को मिलेगी।

दूध की आपूर्ति व बढ़ती बाजार मांगों को पूरा करने में सहायक होगा दत्तनगर संयंत्र – डॉ विकास सूद

प्रबंध निदेशक हिमाचल प्रदेश दुग्ध उत्पादक प्रसंघ डॉ विकास सूद ने बताया कि दूध की खरीद को बढ़ाने के लिए प्रसंघ ने गुजरात आनन्द पद्धति को अपनाया है, जो अधिक से अधिक ग्राम डेयरी सहकारी समितियों के गठन को प्रोत्साहित करता है। हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ ने राज्य में नए चिलिंग सेंटर, दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र, 16 मीट्रिक टन प्रतिदिन की क्षमता वाला और 5 मीट्रिक टन प्रतिदिन की क्षमता वाला पाउडर सयंत्र, यूरिया गुड ब्लॉक संयंत्र, खनिज मिश्रण संयंत्र, यूरिया गुड ब्लॉक और संयंत्र, बेकरी बिस्कुट संयंत्र खोलकर अपने बुनियादी ढांचे का विस्तार किया है। निरंतर ईमानदार प्रयासों के कारण, पिछले कुछ वर्षों में एवरेज मिल्क कलेक्शन ग्राम डेयरी सहकारी समितियों और सदस्यता में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि प्रसंघ ने रामपुर क्षेत्र में 271 दुग्ध सहकारी समितियों का आयोजन किया है, जिसमे 241 वीडीसी कार्यात्मक है और 161 पंजीकृत है।

हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ दूध खरीद पर 45 रुपये प्रति लीटर का भुगतान कर रहा है, जिसमें दुग्ध उत्पादकों को 4.00 प्रतिशत वसा व 8.5 प्रतिशत वसा रहित पदार्थ है, जिसका मूल्य 31.80 रुपये प्रति लीटर था। प्रदेश सरकार द्वारा जनवरी 2024 में दूध खरीद मूल्य में 6 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई और फिर अप्रैल 2024 में 7.20 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई। दूध की खरीद अब तक के उच्चतम स्तर यानि 1.40 लाख लीटर से 2.00 लाख लीटर प्रतिदिन पर पहुंच गई है। वर्ष 2023-24 में प्रसंघ का कुल टर्नओवर 191.69 करोड़ रुपये हो गया है और वित्तीय वर्ष 2023-24 दुग्ध प्रसंघ द्वारा 5.96 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया गया है। दुग्ध प्रसंघ महिला और बाल विकास कल्याण विभाग को आंगनबाड़ियों की आपूर्ति हेतु फोर्टीफाइड पंजीरी, फोर्टीफाइड बेकरी बिस्कुट, फोर्टीफाइड गेहूं सेविया और मिल्क पाउडर दे रहा है।

दूध की खरीद में वृद्धि के लिए किसानों को 5 लीटर क्षमता के स्टील की बाल्टी और कैन्स प्रदान किए गए हैं। डगशाई, पालमपुर, धर्मशाला, चंडी मंदिर, डलहौजी, कंदौरी, शिमला और सोलन में सेना की इकाइयों को प्रसंघ तरल दूध की संतोषजनक आपूर्ति कर रहा है। उन्होंने कहा कि दूध की आपूर्ति व बढ़ती बाजार मांगों को पूरा करने और अपने ग्राहकों को गुणवत्ता और दक्षता के साथ सेवा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह न केवल हमारे महासंघ के लिए एक उपलब्धि है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने, नौकरियां पैदा करने और क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। हम भविष्य में दुग्ध उत्पादों को नए प्रकार से जोड़ते रहेंगे।  

दुग्ध उत्पादकों ने की सराहना

ननखड़ी तहसील के धर्मपाल कायथ ने बताया कि सरकार ने दूध के दामों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी की है जिसके लिए वह प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का धन्यवाद करते हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने दत्तनगर में नए दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र का शुभारम्भ किया है जिससे क्षेत्र के पशुपालकों को अत्याधिक लाभ होगा। इसी प्रकार, रामपुर के मनमोहन सिंह ने बताया कि वह अपने क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों से रोज दत्तनगर दुग्ध संयंत्र में 800 लीटर दूध लेकर आते हैं जिसकी संयंत्र में पूरी जांच की जाती है और दूध में फैट के हिसाब से अदायगी की जाती जिससे पशुपालक संतुष्ट हैं। इसके अतिरिक्त, जो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जो दूध के दाम बढ़ाये हैं उससे भी दुग्ध उत्पादक काफी खुश हैं। सहकारी समिति चिक्सा बारह बीस से इंदरदीप ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दुग्ध उत्पादकों को दूध के बेहतर दाम उपलब्ध करवाए हैं जिससे उनका कारोबार बहुत अच्छा चल रहा है। 

नई पहल

प्रसंघ द्वारा पहले चरण में मण्डी और दत्तनगर क्षेत्र की 50 पंजीकृत सोसायटियों में प्रत्येक किसानों के दूध की टेस्टिंग 01 जनवरी 2024 से शुरू कर दी गई है तथा अगले वित्तीय वर्ष से प्रदेश की लगभग ज्यादातर सोसायटियों में यह प्रक्रिया लागू कर दी जाएगी, जिससे किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके। प्रसंघ द्वारा प्रदेश के बकरी पालकों से बकरी का दूध मूल्य 70 रुपये प्रति लीटर खरीदने का निर्णय लिया गया है। प्रसंघ द्वारा पहले चरण में जिला ऊना में पायलट आधार पर बकरी का दूध एकत्रित किया जा रहा है। बकरी के दूध से घी तैयार किया गया जो बाजार में बिक्री के लिए उतारा गया है।

एनडीडीबी, आरडीटीसी जालंधर की मदद से दुग्ध उत्पादकों, किसानों, महिलाओं और समितियों के सचिवों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, मवेशी प्रबंधन एवं सचिवों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहें है। दुग्ध उत्पादकों व तकनीकी कर्मचारियों को जानकारी बढ़ाने और कौशल विकास के लिए एनडीडीबी (एमआईटी) मेहसाणा में प्रशिक्षण दिया गया है। 15 जून 2024 को भारत सरकार द्वारा ट्रेड मार्क हिम का पंजीकरण किया गया। चलते वाहनों पर डीपीएमसीयू स्थापित करके व्यक्तिगत किसानों के दूध परीक्षण के लिए मण्डी, शिमला और ऊना जिलों में परीक्षण के आधार पर तीन डीपीएमसीयू (डेमो) प्रदान किए गये है, जिसमें किसानों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। प्रसंघ द्वारा 32 डीपीएमसीयू लगाये जा रहे है तथा दूध में पारदर्शिता लाने, किसानों को उचित मूल्य व उनको लाभ पहुंचाने के लिए 120 एमसीएमएस लगाये जा रहे हैं और 19 बल्क मिल्क कूलर स्थापित किए जा चुके है।

हिम गंगा योजना

वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के दुग्ध आधारित अर्थव्यवस्था को विकसित व सुदृढ़ करने के लिए दूध खरीद मूल्य को लागत मूल्य के आधार पर देने के लिए “हिम गंगा योजना” की शुरुआत इस वित्त वर्ष से कर दी गई है, जिसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा 500 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के द्वारा हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ ढगवार जिला कांगड़ा में 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन से 3 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले पूरी तरह से स्वचालित संयंत्र लगाया जा रहा है। इस प्रसंस्करण संयंत्र में तरल दूध, 5 मीट्रिक टन प्रतिदिन दही, 5 टन लीटर प्रतिदिन लस्सी, 1 मीट्रिक टन प्रतिदिन टेबल बटर, 2 मीट्रिक टन प्रतिदिन ताजा पनीर, 25 टन लीटर प्रतिदिन यूएचटी उपचारित दूध, बटर मिल्क, लस्सी, 200 किलोग्राम प्रतिदिन खोआ और मोज्रेला चीज़ आदि शामिल है। 

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