अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ (IDDRR) के अवसर पर शिमला के गेयटी थिएटर में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और पद्म देव कॉम्प्लेक्स में आयोजित विभागीय प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।
अपने संबोधन में अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि वर्तमान में अधिकांश आपदाएं प्राकृतिक से अधिक मानवीय हस्तक्षेप के कारण उत्पन्न हो रही हैं। नियमों को दरकिनार कर किए जा रहे निर्माण कार्य, नदियों के रास्ते में अवैध कब्जा और भूकंप रोधी तकनीकों की अनदेखी इसके मुख्य कारण हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते आपदाओं की तीव्रता बढ़ रही है, और हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए विकास के मॉडल को अपनाना होगा।
मंत्री ने बताया कि प्रदेश में हर साल भूस्खलन, बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाएं भारी नुकसान पहुंचा रही हैं, विशेषकर मानसून के दौरान। इससे निपटने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश की 3,645 पंचायतों में ‘पंचायत आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र’ (PERC) स्थापित किए हैं। इसके अतिरिक्त, AFD के सहयोग से ₹892 करोड़ की लागत से डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड प्रिपेयर्डनेस प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जबकि विश्व बैंक के सहयोग से ₹2,650 करोड़ की ‘रेडी HP’ परियोजना शुरू की जा रही है।
अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि जनता को सुरक्षित निर्माण तकनीकों, जलवायु संवेदनशील योजना और सामुदायिक सहभागिता जैसी पहलों को अपनाना होगा। युवाओं, महिलाओं और ‘आपदा मित्र’ स्वयंसेवकों की भागीदारी आपदा प्रबंधन को प्रभावी बनाने में सहायक होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार हिमाचल को एक आपदा तैयार राज्य के रूप में देश के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HPSDMA) के निदेशक डीसी राणा ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1989 में शुरू किया गया यह दिवस आपदा जोखिमों के प्रति जागरूकता और लचीलापन बढ़ाने का अवसर है। इस वर्ष की थीम ‘Fund Resilience, Not Disasters’ आपदा प्रतिक्रिया की बजाय पूर्व तैयारी में निवेश पर जोर देती है।
हिमाचल में वर्ष 2011 से ‘समर्थ’ अभियान चलाया जा रहा है, जिसका यह 15वां संस्करण है। अक्टूबर माह में चलने वाले इस अभियान में जनसहभागिता लगातार बढ़ रही है। अभियान के तहत शिक्षा, प्रशिक्षण, सुरक्षित निर्माण और सामुदायिक जागरूकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
राज्य स्तरीय ‘सुरक्षित निर्माण मॉडल प्रतियोगिता’ के विजेताओं को भी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। उच्च स्कूल श्रेणी में प्रथम स्थान राजकीय उच्च विद्यालय अनहैच को मिला, जबकि वरिष्ठ माध्यमिक श्रेणी में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पबियाना और कॉलेज श्रेणी में राजकीय डिग्री कॉलेज बासा अव्वल रहे।
कार्यक्रम के दौरान दो प्रमुख तकनीकी पहलों की शुरुआत की गई। ‘हिम कवच’ एक मोबाइल ऐप है जो घर मालिकों, इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों को सुरक्षित निर्माण दिशा-निर्देश उपलब्ध कराएगा। यह निर्माण के हर चरण में गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
वहीं, ‘हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन सूचना प्रणाली’ (HPDMIS) एक केंद्रीकृत डेटा प्रणाली है, जो आपदाओं के दौरान नुकसान का आकलन, संसाधन प्रबंधन और रिपोर्टिंग को सरल और व्यवस्थित बनाएगी। यह एप्लिकेशन मोबाइल और वेब दोनों माध्यमों से फील्ड स्तर पर काम करेगा।
कार्यक्रम में विभिन्न विभागों, अधिकारियों, कर्मचारियों और स्वयंसेवकों को उनके आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। मणिमहेश यात्रा के दौरान घायल होने के बावजूद 75 श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालने वाले इंजीनियर शैलेश राणा को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इसी प्रकार, रेस्क्यू कार्य के दौरान जान गंवाने वाले दो कर्मचारियों के परिजनों को भी श्रद्धांजलि और सम्मान प्रदान किया गया।
डीडीएमए किन्नौर को सर्वश्रेष्ठ जिला घोषित किया गया, जबकि डीडीएमए मंडी को दूसरा स्थान और 133 इंफैंट्री बटालियन, कुफरी को विशेष पुरस्कार से नवाजा गया।
कार्यक्रम में ‘युवा आपदा मित्र योजना’ की भी शुरुआत की गई, जिसे प्रदेश के नौ जिलों में लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत NCC, NSS, NYKS और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के 4,070 युवा स्वयंसेवकों को सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षित युवाओं को आपातकालीन प्रतिक्रिया किट और तीन साल का जीवन व स्वास्थ्य बीमा कवर भी दिया जाएगा।
प्रशिक्षण पूरा कर चुके 20 एनसीसी कैडेट्स को कार्यक्रम में ईआरके किट और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन को मजबूती देने के उद्देश्य से ‘पंचायत आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र’ (PERC) की शुरुआत की गई। प्रत्येक पंचायत में स्थानीय आपदा जोखिम मूल्यांकन, बचाव कार्य और जागरूकता के लिए टीमों का गठन किया गया है। इन टीमों को एक आपातकालीन किट प्रदान की गई है और अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जाएगी।
कार्यक्रम में 10 पंचायतों के प्रतिनिधियों को किट वितरित की गई, जिससे इस योजना की शुरुआत औपचारिक रूप से हो गई।