हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकीय तंत्र-प्रबन्धन और आजीविका में सुधार के लिए हिमाचल में आरम्भ की गई जाईका परियोजना (जापान इंटरनेशनल कॉआपरेशन अजेंसी) से जुड़कर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग आजीविका में सुधार कर रहे हैं। यह बात मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने आज जाईका के मुख्य कार्यालय टूट (शिमला) में जाईका के संवाद पत्र के विमोचन अवसर पर बोलते हुए कही।
उन्होंने कहा कि जाईका परियोजना प्रदेश के सात जिलों किन्नौर, शिमला, बिलासपुर, मण्डी, कुल्लू, कांगड़ा तथा लाहौल-स्पीति जिलों में कार्यान्वित की जा रही है जिसकी अवधि 10 वर्षो तक है। उन्होंने प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को इस परियोजना के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया । परियोजना निदेशक श्रेष्ठा नन्द शर्मा ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया तथा जाईका द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया ।
उन्होंने कहा कि परियोजना के संवाद पत्र में गत तीन महीनों की अवधि के दौरान सफलतापूर्वक संचालित गतिविधियों का उल्लेख किया गया है। उन्होेंने कहा कि इस पत्रिका के प्रकाशन के लिए फील्ड स्तर पर सेवाएं दे रहे विषय वस्तु विशेषज्ञ, क्षेत्रीय तकनीकि इकाई समन्वयक और वन विभाग के अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे पूर्व नरेश चौहान ने परियोजना के हिन्दी संस्करण संवाद पत्र के 14वें संस्करण तथा अंग्रेजी संस्करण न्यू लैटर का विमोचन किया।
उन्होंने जाईका परियोजना की टीम को इन संस्करणों के प्रकाशन के लिए बधाई दी और उनके प्रयासों की सराहना की । इस अवसर पर परियोजना के मुख्य निदेशक एवं वन विभाग के प्रमुख अरण्यपाल समीर रस्तोगी, जैव विविधता विशेषज्ञ डा. एस.के.काप्टा, परियोजना एवं वन विभाग के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित थे।