कीकली रिपोर्टर, 26 नवंबर, 2018, शिमला
भारत आज भी विष्व गुरू और सोने की चिड़िया, लेकिन इसे व्यवहारिक रूप दिया जाना चाहिए — सुरेष भारद्वाज
हिमाचल प्रदेष विष्वविद्यालय में संविधान दिवस के अवसर पर अम्बेडकर पीठ द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में सुरेष भारद्वाज, शिक्षा मन्त्री, हिमाचल प्रदेष ने कहा कि संविधान की मूल भावना के स्वरुप में आधुनिकतम भारतवर्ष चहुमुखी विकास की ओर अग्रसर है। अन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में जिस प्रकार चुनाव आयोग तथा सरकार की मुख्य शाखाएं कार्यपालिका, विधानपालिका और न्यायपालिका को अपना कार्य करने का जिम्मा दिया गया है उसी स्वरुप में ही आखिर में आम जनता व लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ मीडिया सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों पर अपना जनादेष देते हैं।
शिक्षा मन्त्री ने कहा कि संविधान ने जहां हमें मौलिक अधिकारी दिए उसके साथ कर्तव्यों को भी जोड़ा गया तथा फैडरल सिस्टम के अनुसार चलने वाली सरकारों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को प्रमुखता दी गई। उन्होंने कहा कि भले ही भारतवर्ष भौगोलिक परिस्थिति से विषमताओं भरा देष हो लेकिन एक समान सांस्कृतिक रुप सभी लोगों को आपस में जोड़े रखता है तथा इसका आभास संविधान की प्रस्तावना में शामिल है। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी प्रावधानों के बावजूद भी व्यवहारिक तौर पर मानवीय सूझबूझ की कमी के चलते त्रुटियां पनपती गईं और आज हमारी सबसे बड़ी चुनौति उन त्रुटियों को दूर करना है तथा संविधान की प्रस्तावना के अनुरुप मिलजुल कर सभी के समान विकास के लिए कार्य करना है।
अपने सम्बोधन में कुलपति, आचार्य सिकन्दर कुमार ने कहा कि संविधान बनाते समय डॉ. भीम राव अम्बेडकर ने यदि वित्त आयोग, चुनाव आयोग, भारतीय रिजर्ब बैंक और रोजगार केन्द्र कर सोच न रखी होती तो आज भारतवर्ष के लिए विकास करना असम्भव होता। उन्होंने कहा कि आज बड़ी विडम्बना है कि व्यवहारिक रुप से 100 वर्षों पूर्व का भेदभाव भारतीय समाज में किया जा रहा है और उससे उपजी विषमताओं के लिए केवल पढ़ा लिख समाज जिम्मेदार है।
अम्बेडकर पीठ के अध्यक्ष, आचार्य अमरजीत सिंह ने सभी अतिथियों का अभिवादन किया और धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। मंच संचालन समन्वयक, डॉ. चमन लाल बंगा ने किया। इस अवसर पर अवसर पर नगर निगम षिमला की महापौर कुसुम सदरेट, उप-महापौर राकेष शर्मा, प्रति-कुलपति आचार्य राजिन्द्र सिंह चौहान, अधिष्ठाता अध्ययन आचार्य अरविन्द कालिया, कुलसचिव घनष्याम चन्द, शषी बाला के अतिरिक्त कई अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, निदेषक, षिक्षकवर्ग, गैर-षिक्षक कर्मचारी वर्ग, विद्यार्थी वर्ग व मॉडल स्कूल के छात्र भी उपस्थित थे।