हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग की ओर से तीन दिवसीय ‘पुनः प्रवर्तन’ लघु चित्रकला प्रदर्शनी एवं कार्यशाला का आयोजन शिमला के बेटी थिएटर में किया गया। यह आयोजन 19 से 21 सितम्बर 2025 तक चलेगा, जिसमें पारंपरिक लघु चित्रकला शैलियों के संरक्षण और नवाचार को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।
प्रदर्शनी में विद्यार्थियों द्वारा तैयार की गई 100 से अधिक कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया, जो कांगड़ा, बसौली, मंडी, जम्मू, सिख और गढ़वाल लघु चित्र शैलियों की विविधता और समृद्ध परंपरा को दर्शाती हैं। यह आयोजन उभरते कलाकारों को मंच देने और दर्शकों को पहाड़ी चित्रकला की गहराई से परिचित कराने का महत्वपूर्ण अवसर बना।
इस कार्यशाला का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने किया। उनके साथ डीन डीसी प्रो. हरिमोहन तथा कंट्रोलर ऑफ एग्जाम प्रो. श्याम लाल कौशल भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
अपने उद्घाटन भाषण में कुलपति महोदय ने इस आयोजन को “समुदाय, संस्कृति और संरक्षण” के प्रति एक सार्थक प्रयास बताया। उन्होंने विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस धरोहर को संजो कर अगली पीढ़ियों तक पहुँचाना हमारी सांस्कृतिक ज़िम्मेदारी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में नैनोटेक्नोलॉजी और पारंपरिक लघु चित्रकला के समन्वय की संभावनाएं तलाशना एक रोचक दिशा हो सकती है।
विभागाध्यक्ष प्रो. अपर्णा नेगी औरने बताया कि यह आयोजन न केवल कांगड़ा लघु चित्रकला की विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह नई पीढ़ी के कलाकारों को प्रेरणा और मंच देने का भी माध्यम है। उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है जहां पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग का अकादमिक कोर्स पढ़ाया जाता है।
यह कार्यशाला और प्रदर्शनी सामान्य जनमानस में पहाड़ी लघु चित्रकला के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता उत्पन्न करने का कार्य भी करेगी, जो कि प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने में विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण योगदान है।