विकसित भारत के रंग कला के संग’ कार्यक्रम में शामिल होते ही जयराम ठाकुर ने न केवल कलात्मक प्रस्तुतियों का अवलोकन किया, बल्कि सत्ता की पोल भी खोल दी। रिज मैदान में चित्रकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों का राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल के साथ निरीक्षण करने के बाद ठाकुर गेयटी हॉल में आयोजित भारत की प्रगति पर आधारित प्रदर्शनी भी देखने पहुंचे।
मंच पर बोलते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की संस्कृति, कला और सृजनात्मकता हमारे “आत्मनिर्भर भारत” की आत्मा हैं। उनका मानना था कि विकास केवल आर्थिक नहीं—बल्कि कलात्मक और सांस्कृतिक संरक्षण से परिभाषित होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का “विकास भी विरासत भी” मूल दृष्टि है, और यह शासन का नहीं, हर नागरिक का संकल्प है।
लेकिन कार्यक्रम की गरिमा में ही विपक्षी तीखे बयान घुल गए। उन्होंने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाए कि जैसे ही वे हिमाचल लौटे, उन्होंने अपनी “झूठ की गठरी” खोली। ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा बिना हस्ताक्षर किए टूर कार्यक्रम सार्वजनिक करना और दस्तावेजों को अनदेखा करना जनता को गुमराह करने का द्योतक है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि राज्य में आत्मनिर्भरता का ढोल पीटे जाने के बावजूद सड़कों का मलबा नहीं हट रहा, इलाज नहीं हो पा रहा, और सरकारी वादे हवा में गायब हो रहे हैं। “क्या अधिकारियों पर मुख्यमंत्री की पकड़ नहीं?”—यह सवाल उन्होंने तंज में सरकार पर छोड़ा।
ठाकुर ने उन अधिकारियों की भी निंदा की जो राजस्व, शिक्षा या परियोजनाओं की घोषणा बिना संवैधानिक कार्रवाई के कर देते हैं। उन्होंने हायर ग्रेड पे मामले को उदाहरण देते हुए कहा कि चिट्ठी बिना मुख्यमंत्री जानकारी के जारी हो गई, और अब आरोप अधिकारी पर लगाना सरकार की आदत बन गई है।
समारोह के दौरान, राज्यपाल, डॉ. नंदलाल ठाकुर, चौपाल विधायक बलवीर वर्मा, भरमौर विधायक डॉ. जनक राज और भारी संख्या में जनता भी मौजूद रही। ठाकुर के तीखे बोलों ने कार्यक्रम के सौंदर्य और गरिमा दोनों को राजनीतिक रंग दिया।