ना देखे हिंदू ,मुस्लिम ना देखे इन्होंने ईसाई,
सबकी मदद करते दिल खोलकर,
नाम है जिनका कर्नल जसवंत सिंह कलोल वाले,
बन के किसी के साथी,संरक्षक तो किसी के भाई।
थोड़ी सी भी अक्कड़ नहीं स्वभाव में इन्होंने पाई,
दिल खोल कर सहायता करते जरूरतमंदों की,
ऐसा लगता है जैसे जानते हैं ये सब की पीर पराई।
जिस किसी सदस्य से भी पता लगता है इनको,
जरूरत है किसी को किसी प्रकार की सहायता की,
किसी को दो ,तो किसी को चार,तो किसी को 6000 की, सहायता राशि है इन्होंने तुरंत भिजवाई।
इतने बड़े रैंक से रिटायर हुए फिर भी,
धेले भर की अक्कड़ नहीं है इनमें,
बिल्कुल सबका अपना बनकर,
गरीबों को है हमेशा सहायता राशि पहुंचाई।
मंजूषा बेटी नहीं सिर्फ इनकी अब,
मंजूषा तो है बेटी अब हम सब ने अपनी बनाई,
हर मां, बहन ,बेटी में दिखती हमको मंजूषा,
हर हाल में सहायता करेंगे हम भी,यह कसम है अब हमने खाई।
दूसरों की सहायता के लिए दान कर रहे,
आप अपनी मेहनत की पाई– पाई,
धन्य है कर्नल जसवंत सिंह चंदेल कलोल वाले आप,
जो मंजूषा जैसी बेटी अपने पाई।