February 7, 2025

गेयटी में हेमराज कौशिक की पुस्तक ‘हिमाचल की हिन्दी कहानी का विकास एवं विश्लेषण’ का लोकार्पण 

Date:

Share post:

हिमालय साहित्य संस्कृति मंच और ओजस सेंटर फार आर्ट एंड लीडरशिप डैवलपमेंट द्वारा राष्ट्रीय पुस्तक मेला शिमला के अवसर पर गेयटी सभागार में समकालीन हिन्दी साहित्य और आलोचना विषय पर डा. हेमराज कौशिक के सानिध्य में हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में एस. आर. हरनोट ने विद्वान लेखकों को संबोधित करते हुए साहित्य के संदर्भ में टिप्पणी में कहा कि “हिमाचल में साहित्य की समीक्षात्मक आलोचना नहीं होती। कुछ लेखक स्वयं को प्रेमचन्द, गुलेरी और शुक्ल मानने का दंभ पालने लगे हैं। आलोचना साहित्यिक मानकों के अनुसार गुण-दोष के आधार पर होनी चाहिए अन्यथा सृजनात्मक साहित्य के साथ न्याय नहीं होगा। आलोचना केवल लेखन की प्रशंसा मात्र न होकर साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में की जानी चाहिए।” 

कार्यक्रम की शुरुआत में डा. हेमराज कौशिक की पुस्तक “हिमाचल की हिंदी कहानी का विकास एवं विश्लेषण” पुस्तक का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक डॉ. हेमराज कौशिक की रचना है, जिसमें हिमाचल प्रदेश के हिंदी साहित्य के इतिहास और विकास यात्रा का समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे डा हेमराज कौशिक ने हिमाचल के हिन्दी लेखन के संबंध मे बताया कि साहित्य सीजन में सामाजिक यथार्थ विसंगतियों और विजू पतंग को प्रमुख विषय बनाया जाना चाहिए।  सांप्रदायिकता को लेकर हिंदी साहित्य में काफी लिखा गया है सामाजिक व्यवस्थाओं में झांकने के लिए अब्दुल बिस्मिल्लाह की “झीनी झीनी बीनी चदरिया” को मानक स्वीकार किया जा सकता है, जिसमें लेखक द्वारा वर्षों के परिश्रम के बाद काशी के बुनकरों की पारिवारिक व्यवस्था, सामाजिक विडंबनाओं, भाषायी एवं सांस्कृतिक विषयों को उभारा गया है। क्योंकि आलोचना एक श्रमसाध्य और लेखक की नाराजगी मोल लेने का तथा खकाम अब तक हिमाचल में लगभग एक सौ चालीस कहानी संग्रह छप चुके हैं। यह हिंदी साहित्य के लिए गौरव की बात है।

कार्यक्रम के समन्वयक डा. सत्यनारायण स्नेही ने कहा एस आर हरनोट आलोचना के पक्षधर हैं और इनकी पुस्तकों की सबसे अधिक आलोचना एवं समीक्षा होती है। इसलिए इनके लेखन में निखार आता है। इसलिए हरनोट को विभिन्न प्रांतों के पाठ्यक्रम में पढ़ा-पढ़ाया जाता है। हिमाचल में हिंदी साहित्य की आलोचना में डा. सुशील कुमार फुल्ल और डा. हेमराज कौशिक और देवेन्द्र कुमार गुप्ता आदि नाम प्रमुख हैं। इसीलिए आलोचना कम है। हिमाचली साहित्य को लेखकों के योगदान के अनुरूप राष्ट्रीय स्तर पर विशेष मान्यता न मिल पाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसलिए आलोचना की विधा को प्रोत्साहन दिया जाना भी जरूरी है। 

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता देविना अक्षयवर ने कहा कि समकालीन हिंदी साहित्य आलोचना और शोध के बिना अधूरा है। हिमाचल का हिंदी साहित्य समग्रतया राष्ट्रीय आलोचना दृष्टि के हिमाचल प्रदेश के जनजीवन और पारंपरिक संस्कृति से अनभिज्ञतावश दूरी बनाए हुए है, यह मिथ अब धीरे-धीरे टूटने लगा है। हरनोट जैसे कथाकारों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होने लगी है। स्त्री को मादा एवं भोग्या के रूप में चित्रित किया जाना महिलाओं के साथ अन्याय है क्योंकि पर्यावरण और लोक संस्कृति को बचाने में महिलाओं की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में सामान्य ज्ञान की पुस्तकों में हिंदी के प्रसिद्ध कवियों, कथाकारों का विवरण न होना कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिमाचल के रचनाकारों की कविताएं और कहानियां हिंदी पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं हैं, जबकि हिंदी के कथाकारों की अंग्रेजी में अनुवादित कहानियां पाठ्यक्रम में पढ़ाई जा रही हैं जैसे एस आर हरनोट की ‘रैडनिंग ट्री’ । अनुवाद विभिन्न भाषाओं के बीच पुल का काम करता है। अतः समकालीनता, कालक्रम, आलोचना और शोध पर सांझा विमर्श होना चाहिए। 

राजन तनवर ने अपने शोध पत्र के माध्यम से समकालीन हिंदी साहित्य और आलोचना पर दृष्टिपात किया जबकि संगीता कौंडल ने समकालीन कविताओं की समीक्षा में कुछ चुनिंदा कवियों की कविताओं का बढ़िया विश्लेषण किया। वीरेंद्र सिंह ने हिंदी साहित्य के अंतर्गत शोध और आलोचना से संबंधित चुनौतियां का विषय रखा।

संवाद एवं परिचर्चा में देवेन्द्र कुमार गुप्ता, जगदीश बाली, ओम प्रकाश, दक्ष शुक्ला, हितेन्द्र शर्मा, अजय विचलित, अंजलि, आयुष, जगदीश कश्यप, कौशल्या ठाकुर, आशा शैली, डा. बबीता ठाकुर, आदि लेखकों ने भाग लिया तथा हिमाचल प्रदेश के हिंदी साहित्य और आलोचना के संदर्भ में अपने विचार प्रकट किए। पुस्तक मेले के दौरान आयोजित साहित्य उत्सव की जानकारी दी जिसमें बाल, युवा, नवोदित, महिला रचनाकारों तथा वरिष्ठ लेखकों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन दिनेश शर्मा ने किया।

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

US Deportation Scandal: IOC Fights for the Rights of Indian Migrants!

The Indian Overseas Congress (IOC),  has continued its strong objection to the disgraceful treatment of Indian deportees by the...

HPSEB Following Regulatory Commission – Directives on Cost Reduction

Himachal Pradesh State Electricity Board Limited (HPSEB) Spokesperson Anurag Parashar has confirmed that no posts have been abolished...

विधानसभा भर्तियों पर उठाए सवाल, सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग : जयराम ठाकुर

शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा द्वारा की गई भर्तियों...

ठियोग में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यशाला का आयोजन, 70 लोग हुए शामिल

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता विभाग की ओर से बाल विकास परियोजना ठियोग के अंतर्गत ग्राम पंचायत सरीवन...