ऐतिहासिक नगर रामपुर बुशहर में आगामी अंतरराष्ट्रीय लवी मेला–2025 के उपलक्ष में आयोजित तीन दिवसीय अश्व प्रदर्शनी का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह प्रदर्शनी 1 से 3 नवम्बर तक पशुपालन विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा लवी मेला आयोजन समिति के सहयोग से आयोजित की गई थी।
समापन समारोह की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश राज्य 7वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक नन्द लाल ने की। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी सत्या नन्द लाल विशेष अतिथि रहीं।
अपने संबोधन में विधायक नन्द लाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय लवी मेला प्रदेश की व्यापारिक, सांस्कृतिक और पशुपालन परंपरा का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अश्व प्रदर्शनी इस मेले का अभिन्न हिस्सा है, जो उत्कृष्ट नस्लों के संरक्षण, प्रजनन और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करती है।
उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल पशुधन विकास को बढ़ावा देते हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। युवाओं को पारंपरिक व्यवसायों की ओर आकर्षित करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करने में भी ये आयोजन प्रेरणादायी सिद्ध हो रहे हैं।
प्रदर्शनी में कुल 282 अश्वों का प्रदर्शन किया गया, जिनमें स्पीति नस्ल के 121, स्पीति क्रॉस ब्रीड 57, अन्य नस्लों के 46 और 29 खच्चर जोड़े (कुल 58 खच्चर) शामिल रहे। प्रदर्शनी के दौरान लगभग 150 पशुओं की बिक्री भी संपन्न हुई, जिससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ।
विशेष आकर्षण का केंद्र रहे चमुर्थी नस्ल के घोड़े, जिनकी चाल, शक्ति, सौंदर्य और संतुलन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रदर्शनी के अंतिम दिन आयोजित गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता, 400 मीटर एवं 800 मीटर घुड़दौड़ प्रतियोगिताओं ने माहौल को रोमांचक बना दिया। प्रतिभागी धर्म पाल और हैप्पी ने क्रमशः पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया।
समापन अवसर पर नन्द लाल ने विभिन्न वर्गों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पशुपालकों, प्रशिक्षकों तथा प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। उन्होंने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन ग्रामीण हिमाचल की परंपरागत पहचान को जीवित रखते हैं।
समारोह में पशुपालन विभाग के निदेशक संजीव धीमान, उपमंडलाधिकारी (नागरिक) हर्ष अमरेन्द्र सिंह, उपनिदेशक पशुपालन डॉ. नीरज मोहन, डॉ. अनिल, जिला परिषद सदस्य बिमला शर्मा, एडवोकेट डी.डी. कश्यप, राजेश गुप्ता, लवी मेला आयोजन समिति के सदस्य, पंचायत प्रतिनिधि, पशुपालक, व्यापारी, स्थानीय गणमान्य व्यक्ति एवं बड़ी संख्या में दर्शक एवं पर्यटक उपस्थित रहे।
रामपुर बुशहर की अश्व प्रदर्शनी सदियों पुरानी लवी मेला परंपरा से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यह मेला उस ऐतिहासिक व्यापारिक संधि की स्मृति में मनाया जाता है जो रामपुर बुशहर राज्य और तिब्बत के बीच संपन्न हुई थी। उस समय घोड़े, ऊन, नमक और अन्य वस्तुओं का आदान-प्रदान व्यापार का प्रमुख हिस्सा था।
इसी व्यापारिक परंपरा को जीवित रखने के उद्देश्य से आरंभ हुई अश्व प्रदर्शनी आज एक सांस्कृतिक और प्रजनन–प्रोत्साहक आयोजन के रूप में विकसित हो चुकी है। विशेष रूप से चमुर्थी नस्ल के घोड़े इस प्रदर्शनी की पहचान बन चुके हैं।

