लेखिका उमा ठाकुर नद्यैक मूलतः पैतृक गाँव कोफनी ‘मैलन’ कोटगढ़, तहसील कुमारसैन, ज़िला शिमला की रहने वाली है और वर्तमान में कोष लेखा एवं लाट्रीज विभाग में अपनी सेवाए दे रही है। इन्होने स्नातकोत्तर (अंग्रेज़ी, इतिहास, पत्रकारिता एवं जनसंचार), पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा पत्रकारिता, सर्टिफिकेट कोर्स रेडियो लेखन, वाणी कोर्स प्रसार भारती किया है और पत्रकारिता में पी.एच-डी कर रही है।
साहित्य में योगदान के लिए विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्था द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। अब तक इनके तीन पुस्तके और 6 साझा संग्रह प्रकाशित हो चुके है। महासुवी लोक संस्कृति शोध पुस्तक वर्ष 2019, नवल किरण कविता संग्रह वर्ष 2021, हिमाचली भाषा रे मणके पुस्तक का प्रकाशित व संपादित पुस्तक वर्ष 2023 में प्रकाशित हुई है। इसके अलावा विभिऩ्न समाचार पत्रों एवं साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में शोधपत्र, आलेख, कविताएं एवं यात्रा संस्मरण प्रकाशित हो चुके है।
आकाशवाणी शिमला से वर्ष 2016 में ‘म्हारा महासू’ पहाड़ी नाटक की तेरह कड़ियों का प्रसारण,आकाशवाणी शिमला में नैमितिक उदघोषक, कविता, वार्ता, परिचर्चा, साहित्य दर्पण, युववाणी व महिला सम्मेलन कार्यक्रम का संचालन किया है। हिमाचली भाषा, लोक साहित्य व लोक संस्कृति का प्रचार प्रसार,वेबसाइट, हिमवाणी फेसबुक पेज,हिमालयन ग्लोबल विलेज यू-टयूब व्लॉग व हिमवाणी यू-टयूब चैनल चला रही है I हिमाचली भाषा व लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन हेतु कार्य में सक्रीय भागीदारी निभा रही है।
अपनी लेखनी व फ़ेसबुक पेज और यूटयूब के माध्यम से हिमाचली भाषा व लोक साहित्य,संस्कृति को आम जनमानस़,बुधि्जीवियों व साहित्यकारों के सहयोग से गाँव की मुँडेर से विश्व पटल तक पहुंचाने का दृढ़ संकल्प लिया है । हिमवाणी फेसबुक पेज पर हिमाचली भाषा के 565 ऐपिसोड पूरे हो चुके है। इन्होने हिमाचली भाषा रे मणके पुस्तक का प्रकाशन व संपादन बिना किसी कवि व संस्था के आर्थिक सहयोग के किया है । इस पुस्तक मे हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिला के 30-कवियो की पहाडी रचना को शामिल किया है।
उनका कहना है कि परिवार और आफिस की जिम्मेदारी के पश्चात जो भी वक्त मिलता है वह साहित्य के माध्यम से समाज को समर्पित करना चाहती हू,मेरा लिखा एक भी शब्द समाज को खासकर युवावर्ग को प्रेरणा देता है तो मै समझूगी कि मेरा लेखन सार्थक हो गया। उनका सपना भविष्य में हिमाचल के अन्य साहित्यकारों के सहयोग से हिमाचली भाषा को संविधान की आठंवी अनुसूचि मे जगह दिलाने का है और हिमाचली भाषा व लोक साहित्य,संस्कृति को गाँव की मुँडेर से विश्व पटल तक पहुंचाने का है।
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