हिमालय साहित्य संस्कृति मंच और ओजस सेंटर फार आर्ट एंड लीडरशिप डैवलपमेंट द्वारा राष्ट्रीय पुस्तक मेला शिमला के अवसर पर आयोजित साहित्य उत्सव का समापन गेयटी सभागार में डा. हेमराज कौशिक के सानिध्य में संपन्न हुआ। विशिष्ट अतिथियों में डा. मधु शर्मा कात्यायनी, जगदीश बाली और कुलदीप गर्ग तरुण उपस्थित रहे। गुलपाल वर्मा ने कार्यक्रम का संयोजन किया।
प्रातः कालीन सत्र में पुस्तक मेले में प्रतिभागी सभी प्रकाशकों को ओकार्ड इंडिया और हिमालय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। पुस्तक मेले के संयोजक सचिन कुमार को हिमालय मंच के सभी सदस्यों ने मिलकर सम्मानित किया।
पुस्तक मेले के अंतिम दिन नवरंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें साहित्य और कला का अद्भुत संगम देखने को मिला। नवरंग के कार्यक्रम में प्रतिभागी लेखकों ने कविताएं सुनाई। कुछ कलाकारों की पारंपरिक लोकगीतों में झूरी, गंगी, संती और अन्य लोक गीतों की सुरमयी प्रस्तुति से गेयटी थियेटर गूंज उठा। फिल्मी संगीत की भी महफिल में खूब रंगत छाई रही। युवा लेखकों और कलाकारों ने भी अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से महफिल को जवां कर दिया। ठंडा पाणी मेरे क्यारो रा आई जा संतिए धान रूमणे और हवा टीरो री शिमले री सडके हवा टीरो री, झूरी तथा अन्य पारंपारिक गीतों ने मन मोह लिया।
नवरंग कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. हेमराज कौशिक ने कहा साहित्य और संगीत के बिना जीवन अधूरा है इसलिए कविताओं, गीतो को गुनगुनाते हुए जीवन की संघर्षपूर्ण यात्रा पर निरंतर आगे बढते रहना ही साहित्य और संगीत की वास्तविक साधना है।
कार्यक्रम के समापन पर डा. कर्म सिंह ने कहा कि पुस्तक मेले के दौरान साहित्य की गंगा अविरल बहती रही। जिसमें ओकार्ड इंडिया, हिमालय मंच, मातृवंदना संस्थान, शोध संस्थान नेरी की ओर से भव्य साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें प्रतिभागी लेखकों, संपादकों, संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी रही। इन कार्यक्रमों के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली। सभी लेखकों ने अपना व्यय स्वयं किया।
नवरंग कार्यक्रम में एस आर हरनोट, गुलपाल वर्मा, डॉ मधु शर्मा कात्यायनी, हितेन्द्र शर्मा, जगदीश बाली, दीप्ति सारस्वत, लेखराज, अनामिका, सीताराम शर्मा, कौशल्या ठाकुर, वंदना शर्मा, डॉ. कैलाश, राजन तंवर, प्रकाश शर्मा, उमा ठाकुर, अंजलि उषा सोना, हेमलता, रोशन लाल जिंटा, नीता अग्रवाल, सुमन धनंजय, डॉ. अनिता शर्मा, ओमप्रकाश, जगदीश गौतम, डॉ देवकन्या ठाकुर, स्वप्निल आदि कवि तथा लोक गायकों ने भाग लिया।