September 22, 2025

नाग पंचमी – डॉ. कमल के. प्यासा

Date:

Share post:

डॉ. कमल के. प्यासा – पंजाब

अपने देश की समृद्ध विरासत को, यदि सांस्कृतिक दृष्टि से देखें तो इसमें अनेकों ही रंग देखने को मिल जाते हैं। इन रंगों में जहां, यहां की विभिन्न कलाएं अपने रंग बिखेरती है वहीं यहां के रीति रिवाज, तीज त्योहार, पर्व व व्रत आदि भी अपनी पहचान के साथ अलग ही महक बिखेरते हैं। तभी तो यहां के जीव जंतुओं से ले कर पेड़ पौधों तक की महिमा, यहां के तीज त्योहारों में भी देखने को मिल जाती है, और ये सभी बातें अपने पर्यावरण और जैविक तंत्र को बचाने के लिए भी जरूरी हैं।

इधर अपने इस आलेख में नाग पंचमी के इस पर्व में कैसे एक नाग को देवता के रूप पूज कर, कैसे इसे अपने त्योहार के रूप में मनाया जाता है आदि के संबंध में, इसके समस्त इधर उधर बिखरे रंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है।

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाए जाने वाले इस त्योहार को नाग पंचमी के नाम से ही जाना जाता है। इस दिन सुबह सवेरे स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके नाग देवता का पूजन कच्चे दूध, फूल, मैदे की सेवइयां, हल्दी, कुमकुम,चावल व मिठाई आदि के साथ की जाती है। यह पूजन मंदिर में या घर पर नाग देवता की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष की जाती है। मूर्ति पत्थर, लकड़ी, सोने या चांदी की भी ली जा सकती है। इसके अतिरिक्त  घर द्वार के बाहर की ओर भी सांपों को अंकित किया जाता है और उनकी भी पूजा अर्चना की जाती है। क्योंकि सांपों व नागों की पूजा अर्चना को शक्ति, समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक भी तो माना गया है। इसके साथ ही साथ ऐसा भी बताया जाता है कि नाग पूजन व दूध के छिड़काव से सांप किसी भी प्रकार का नुकसान व कष्ठ नहीं पहुंचाते। वैसे भी तो सांप व नाग हमारी फसलों को हानिकारक (चूहों आदि) जीवों से भी तो बचाते हैं। इन पूजे जाने वाले नागों व सांपों में आ जाते हैं अनंत ,वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल आदि।

नागों व सांपों का पूजन पंजाबी समुदाय के लोगों द्वारा भी किया जाता है, लेकिन वह नाग पंचमी के दिन न करके गुग्गा नवमी के दिन किया जाता है। इस दिन ये लोग नाग पूजा के लिए मैदे की मीठी सेवियां और पूड़े बनाते हैं और फिर किसी बेरी की झाड़ी या पेड़ पर सूती धागे से सात लपेटे, लपेट कर धूप बत्ती के साथ पूजन करके गुग्गे देवता (नाग देवता) से क्षमा याचना करते हैं और कुछ इस तरह के बोल भी बोले जाते हैं,

” गुग्गा चौकी ते न चढ़े, गुग्गा घर किसी दे न वढ़े, गुग्गा किसी नू न लड़े,” आदि आदि।

मीठी सेवियों व पूड़ों का प्रसाद बेरी को चढ़ाने के पश्चात बेरी को जल भी अर्पित किया जाता है और फिर वही प्रसाद घर पर व पास पड़ोस में बांटा जाता है। यदि कहीं मंदिर पास हो तो वहां भी हजारी लगा ली जाती है। कुछ लोग गुग्गा पूजन मंदिर में भी कर लेते हैं।

वैसे नाग पंचमी के इस त्योहार को मनाए जाने के संबंध में भी कई एक पौराणिक कथाएं सुनने को मिलती हैं, जिनका संबंध आगे से आगे कई दूसरी कथाओं में भी देखने सुनने में आ जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि किसी शाप के फलस्वरूप तक्षक नाग, राजा परीक्षित को उसके महल की सुरक्षा के बीच किसी तरह पहुंच कर, डस लेता है। जब परीक्षित के पुत्र जनमेजय को इस की जानकारी मिलती है तो वह अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए समस्त सर्प जाति को मिटाने के लिए, सर्पसत्र यज्ञ का आयोजन करता है, फलस्वरूप दूर दूर से सांप उड़ कर यज्ञ की अग्नि में भस्म होने लगते हैं। जिसे देख कर सब भयभीत हो जाते हैं और फिर विनाश को देखते हुए ऋषि आस्तिक मुनि आगे आते हैं और यज्ञ वेदी पर कच्चे दूध का छिड़काव करके अग्नि की ज्वाला को शांत करके यज्ञ को रोक देते हैं। इस तरह से तक्षक नाग और उसके समस्त वंश को बचा लिया जाता है। कहते हैं कि उस दिन शुक्ल पक्ष की पंचमी ही थी, तभी से नाग पंचमी के दिन, सांपों व नागों की पूजा करते हुए कच्चे दूध का छिड़काव करते आ रहे हैं। इस वर्ष 2025 को नाग पंचमी 28 जुलाई की रात 11बज कर 24 मिनट से शुरू हो कर 30 जुलाई सुबह 12 बज कर 45 मिनट रहेगी और इसलिए पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा

 

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की : देवशयनी एकादशी – डॉ. कमल के. प्यासा

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

ETF Leads Plantation Drive in Kullu

In a spirited celebration of environmental responsibility and community partnership, B Company of the 133 Eco Task Force...

Run for a Cause: P.O.W.E.R. RUN 2k25

The P.O.W.E.R. RUN 2k25 is not just a marathon—it’s a movement. With the powerful motto “Save The Himalayas”,...

Art Beyond Canvas: H.C. Rai Memorial ArtFest 2025 Celebrates a Timeless Legacy

The historic Gaiety Theatre in Shimla is all set to come alive with colour, creativity and collective memory...

त्रैमासिक समीक्षा बैठक में योजनाओं की समीक्षा

उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आज बचत भवन सभागार में जिला स्तरीय त्रैमासिक समीक्षा एवं सलाहकार समिति...