जिला शिमला में पिज़्ज़ा चीज़ उत्पादन को बढ़ावा देने और पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से पशुपालन विभाग 16 अगस्त से उपमंडल स्तर पर निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करेगा। यह जानकारी शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने पशुपालन विभाग की विशेष कार्यशाला के दौरान दी।
उपायुक्त ने बताया कि पिज़्ज़ा में उपयोग होने वाला चीज़ अभी अन्य जिलों से आयात किया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह प्रशिक्षण शुरू किया जा रहा है, जिसमें चीज़ निर्माण की तकनीकी जानकारी, गुणवत्ता नियंत्रण और विपणन के पहलुओं पर विशेषज्ञ मार्गदर्शन देंगे। सफल प्रशिक्षार्थियों को आगे जिला स्तर पर भी उन्नत प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसरों को बल मिलेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि पशुधन हमारी परंपरा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिसे अत्याधुनिक तकनीकों और आधारभूत ढांचे से सशक्त किया जा सकता है। कार्यशाला का उद्देश्य पशुपालन को अधिक वैज्ञानिक, लाभदायक और टिकाऊ बनाना है।
इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा ने भी ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए विभागीय कर्मचारियों को समयबद्ध पशु उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
कार्यशाला में विशेषज्ञों और अधिकारियों ने आधुनिक तकनीकों जैसे IoT, IVF, ब्लॉकचेन ट्रेसेबिलिटी, तथा GIS ब्रांडिंग जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की। इसके साथ ही एफएमडी और पीपीआर जैसे रोगों के उन्मूलन, फीड और फॉडर विकास, तथा बाजार से जोड़ने के लिए वैल्यू एडिशन जैसे समाधानों पर भी जोर दिया गया।
भारत में पशुपालन एक प्रमुख क्षेत्र है, जो देश की GDP का 5.5% योगदान देता है। हिमाचल प्रदेश में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 640 ग्राम दूध की उपलब्धता है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है।
पशुपालन विभाग की इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि न सिर्फ स्थानीय उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए नई स्वरोजगार संभावनाएं भी पैदा होंगी।
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