हिमाचल प्रदेश में विमल नेगी की संदिग्ध मौत के मामले को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री विधानसभा में खड़े होकर विमल नेगी के परिजनों को न्याय का आश्वासन दे रहे थे, उसी समय शिमला के सदर थाने में उनके पास से बरामद पेन ड्राइव को फॉर्मेट किया जा रहा था।
जयराम ठाकुर ने सवाल उठाया कि आखिर वह पेन ड्राइव किसके कहने पर फॉर्मेट की गई? उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि एक गंभीर साजिश है। उन्होंने कहा कि सीबीआई रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि एएसआई पंकज शर्मा ने वह पेन ड्राइव फॉर्मेट की और यह घटना थाने के सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हुई है।
उन्होंने कहा कि यह पूरे प्रदेश के लिए शर्मनाक है कि एक युवा इंजीनियर की मौत को दबाने के लिए एक के बाद एक साजिशें रची गईं। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने सदन में भले ही समर्थन और सीबीआई जांच का आश्वासन दिया हो, लेकिन सरकार ने वास्तविकता में कोई कदम नहीं उठाया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विमल नेगी के परिजनों ने न केवल सीबीआई जांच की मांग की, बल्कि कैंडल मार्च निकालकर सड़कों पर प्रदर्शन भी किया। इसके बावजूद सरकार ने उनकी आवाज़ को अनसुना कर दिया, जिसके चलते उन्हें अंततः न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने सीबीआई जांच को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए। इसमें एडवोकेट जनरल, शिमला एसपी और डीजीपी के बीच हुई कार्रवाइयों को जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास का “काला अध्याय” करार दिया।
जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि जिन अधिकारियों या कर्मचारियों पर संदेह था, उन्हें न तो निलंबित किया गया और न ही किसी अन्य विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ा। बल्कि, उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती दी गई, जिससे यह संदेह और भी गहराता है कि सरकार दोषियों को संरक्षण दे रही है।
उन्होंने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने “व्यवस्था परिवर्तन” के नाम पर व्यवस्था के पतन का उदाहरण पेश किया है। इस प्रकरण से साफ है कि विमल नेगी की मौत के पीछे किनका हाथ हो सकता है और कैसे पूरे सिस्टम को उसकी सच्चाई को दबाने के लिए साजिशन इस्तेमाल किया गया।

