हिमाचल प्रदेश सरकार की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना ने प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की नई दिशा दी है। योजना के अंतर्गत अब तक 79 पात्र युवाओं को ₹5.64 करोड़ की सब्सिडी प्रदान की जा चुकी है, जिससे वे ई-टैक्सी जैसे पर्यावरण अनुकूल व्यवसायों में कदम रखकर सम्मानजनक आजीविका अर्जित कर रहे हैं।
योजना के तहत ई-टैक्सी खरीदने पर युवाओं को 50% सब्सिडी, 40% बैंक ऋण और केवल 10% स्वयं का योगदान देना होता है। इन वाहनों को राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों और संस्थाओं से 5 वर्षों तक अनुबंध किया जाता है, जिससे लाभार्थियों को हर माह ₹50,000 से ₹75,000 तक की निश्चित आय हो रही है।
वर्तमान वित्त वर्ष 2025-26 के लिए योजना हेतु ₹66.41 करोड़ का बजट तय किया गया है। अब तक 40 लाभार्थियों को ₹2.72 करोड़ की सब्सिडी प्रदान की गई है। इनमें से 20 ई-टैक्सियों को मुख्यमंत्री ने 5 जुलाई 2025 को सचिवालय से हरी झंडी दिखाई थी। वहीं, 15 अक्टूबर 2025 को 18 और ई-टैक्सियों को ओक ओवर से रवाना किया गया।
योजना का संचालन श्रम एवं रोजगार विभाग द्वारा किया जा रहा है। आवेदन की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अगस्त 2024 में एक ऑनलाइन पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। पात्रता के लिए 23 वर्ष की न्यूनतम आयु, वैध ड्राइविंग लाइसेंस, और ड्राइविंग अनुभव अनिवार्य है।
नारकंडा के मनीष कुमार को योजना के तहत ₹12 लाख की सब्सिडी मिली, जिससे उन्होंने ₹26 लाख की गाड़ी खरीदी। आज वे सचिवालय में ई-टैक्सी सेवा दे रहे हैं और उन्हें प्रति माह ₹75,000 की आय हो रही है। वहीं, ननखड़ी के अनिल कुमार ने जल शक्ति विभाग, रामपुर में अपनी टैक्सी लगाई है और सम्मानजनक स्वरोजगार प्राप्त किया है।
यह योजना न केवल युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि प्रदेश में हरित परिवहन और सतत विकास को भी बल दे रही है। सरकार का लक्ष्य युवाओं को रोजगार के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी प्रेरित करना है।