नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अधिकारियों की कठपुतली बनकर रह गए हैं और पूरे प्रदेश में शासन व्यवस्था कार्यवाहक अधिकारियों के भरोसे चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार व्यवस्था परिवर्तन के बजाय व्यवस्था पतन की ओर बढ़ रही है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में डीजीपी, प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी, आबकारी एवं कराधान निदेशक, फॉरेस्ट विभाग प्रमुख, बिजली नियामक आयोग के पदाधिकारी और यहां तक कि कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक का अध्यक्ष तक कार्यवाहक ही हैं। जयराम ठाकुर ने इसे एक “अंतहीन कार्यवाहक श्रृंखला” करार दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया कि सरकार नए IAS, IPS, और IFS अधिकारियों को प्रदेश में लाने से क्यों कतरा रही है जबकि रिटायर्ड अधिकारियों को पुनर्नियुक्ति या सेवा विस्तार देकर उच्च पदों पर बनाए रखा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की मित्र मंडली के हितों को साधने के लिए यह नीति अपनाई गई है।
जयराम ठाकुर ने कहा, “सरकार ने पहले केंद्र को लिखकर कहा कि नए अधिकारी नहीं चाहिए, लेकिन बाद में उन्हीं पुराने अधिकारियों को दो-दो साल का सेवा विस्तार दिया गया, जिनमें से कुछ पर न्यायालय को सख्त टिप्पणी करनी पड़ी।”
जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री से यह भी सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री की कोई राजनीतिक या व्यक्तिगत मजबूरी है कि वे संदिग्ध आचरण वाले अधिकारियों से पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं? उन्होंने कहा कि जो अधिकारी पहले मुख्यमंत्री को दागी लगते थे, आज वही उनके सबसे विश्वस्त बन गए हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार युवाओं को नौकरी देने में विफल रही है लेकिन अधिकारियों को 63.5 वर्ष तक सेवा में बनाए रखने की योजना पर काम कर रही है।
जयराम ठाकुर ने अंत में कहा कि सरकार की यह दोहरी नीति और अफसरशाही के सामने आत्मसमर्पण जैसी स्थिति से प्रदेश की जनता को नुकसान हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि जिस रास्ते पर मुख्यमंत्री चल रहे हैं, वहां से लौटना उनके लिए कठिन हो जाएगा।